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-६. १९ ]
छट्ठो उद्देसो
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इसुवग्गं छहि गुणिदं जीवावग्गम्हि पक्खिवित्ताणं । जं तस्स वग्गमूलं तं भ्रणुपदं वियाणाहि ॥ १० जीवाविक्खंभाणं वग्गविसेसस्स हवइ जं मूलं । विक्खंभादो सोधय सेसस्सद्धं इसुं वियाणाहि ॥ ११ जीवावग्गं इसुणा चदुम्भस्थेण विभज जं लद्धं । तं इसुसहिदं जाणसु नियमा वट्टस्स विक्खभं ॥ १२ मंदरविक्खंभूणं विदेहविक्खंभअद्धपरिमाणं । उत्तरकुरुविक्खंभं णिद्दिहं होइ णायव्वं ॥ १३ दो जमगा णाम गिरी कंचणणगाण सदा' गिरीणं तु । सीदाए पंचेव दु तस्थ दहा होंति णायग्वा ॥ १४ नीलस्स दु दक्खिणदो एयं जोयणसहस्समाबाघा । सीदाए उभयकूले जमका ते होंति णायन्त्रा ॥ १५ उच्चत्तेर्णं सहस्सा अड्ढादिज्जा सदाण उव्विद्धो । जंबूदीवे जमगा बोधव्वा उत्तरकुरुस्स || १६ मूले सहस्समेयं मज्झे अद्धमाणि य सदाणि । पंचेव जोयणसदा सिहरितले वित्थडा सेला ॥ १७ दोजमगाणं अंतर पंचेव सयाणि जोयगाणि हवें । मूले सिहेर वि तहा वणवेदीपरिउडा रम्मा ॥ १८ सिहरेसु तेसु या मणिमयपासादपंति रमणीया । पोक्खरिणिवाविपउरा मणितोरणमंडिया रम्मा ॥ १९
वर्ग में मिलाकर जो उसका वर्गमूल हो वह उत्तरकुरुका धनुषपृष्ठ जानना चाहिये ६०४१८३३ यो. ॥ १०॥
१ १४७९६ ४ १९
√(२३५०००)२ × ६ + ५३०००१ = जीवा और विष्कम्भके वर्गको परस्परमें घटाकर जो उसका वर्गमूल हो उसे विष्कम्भमेंसे कम करके शेषके अर्ध भाग प्रमाण बाण जानना चाहिये √( १ २ १६५ ४ ९ ० ) 2 ५३००० ÷ २ =
१२१६५४९० १७१
१७१
२२५००० x ४ १९
॥ १३ ॥
१९
१९
२२१९° ॥ ११॥ जीवाके वर्गको चौगुणे बाणसे भाजित करनेपर जो लब्ध हो उसमें बाणके मिलानेपर नियमसे वृत्त क्षेत्रका विष्कम्भ होता है ५३००० २ ÷ ( } + =७११४३७६ यो. ॥ १२ ॥ मन्दर पर्वतके विष्कम्भसे रहित विदेहके विष्कम्भको आधा करनेपर उत्तरकुरुके विष्कम्भका प्रमाण होता है ६४०००० १९०००० ÷ २ २२५००० — सीताके [ किनारेपर ] दो यमक गिरि, सौ कंचन नग और पांच द्रह हैं ॥ १४ ॥ वे यमक पर्वत नील पर्वतके दक्षिणमें एक हजार योजन आगे जाकर सीताके उभय तटोंपर स्थित हैं ॥ १५ ॥ जम्बूद्वीपमें उत्तरकुरु सम्बन्धी यमक गिरि एक हजार योजन ऊंचे और अढ़ाई सौ योजन प्रमाण अवगाहसे सहित हैं ॥ १६ ॥ ये शैल मूलमें एक हजार योजन, मध्यमें साढ़े सात सौ योजन और शिखरतलपर पांच सौ योजन प्रमाण विस्तृत हैं ॥ १७ ॥ दो यमकोंका अन्तर पांच सौ योजन प्रमाण है । ये रमणीय पर्वत मूलमें तथा शिखरपर भी वनवेदीसे वेष्टित हैं ॥ १८ ॥ उनके शिखरों पर प्रचुर पुष्करिणी एवं वापियोंसे सहित, मणिमय तोरणोंसे मण्डित, रमणीय,
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२२५००० १९
१ प ब दोजमणामाजगरी कंचणणागाण सद. २ उश सीदाउवघोकूल, प ब सीदाय उभयकूल. ३ ब उछत्तेण ४ उ स सदेण उब्विधो, प ब सदाण उब्वेध. ५ उ प ब श अद्धद्ध'. ६ उ वहे, प ब हिवे, श हवो.
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