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जंबूदीपणती
[ ५.७२
एवं तु भसाले जंबूदरीपस्स मंदरगिरिस्स। जिणभवणाण पमाणं समासदो होत्रि णायम्वा ॥ ७२ वेहलियफलिइ मरगयगलिंदमसाररयणचित्ताणि' । भंजणपवाल मरगय जंबूणयभूसियतलाई ॥ ७३ ससिकंतसूरकंता ताई' वरवहरलोहियंकाइ' । वरमणिविउल सुणिम्मल सोइंति भणोषमगुणाई ॥ ७४ सुविणिम्मलवर विउला" चोक्खा य पसाहिया' दरिसणिज्जा । अच्चतमणहरा से णाणाविहरूत्र संपण्णा ॥ ७५ 'वर कमल कुमुद कुवलयणीलुप्पलय उल तिल यक यँसोदा । कप्पूरागरुचंद्रणकालागरुधूमगंधट्टा ॥ ७६ धयविजयवइ जयंती पडायबहुकुसुमसेद्दिकयमाला | विळसंत मणभिरामा' बहुकोदुगमंगळसणाहा ॥ ७७ जगजगजगत सोहा अच्छेर यरूवसारसंठाणा । ते' चिविहरइयमंगलवंदेमालुज्जक सिरीया ॥ ७८ णिच्च मणेोभिरामा" फुरंतमणिकिरण साहसंभारा " | कंश्चणरयण महामणिभिसंतपासादसंघायं ॥ ७९ अगस्य तुरुक्क चंदणणाणाविद्दगंधरिद्धिसंपण्णा । दूराकोयमणोहर दोसंति महंतपासादा ॥ ८० घंटार्किकिणिबुब्बुद चामरणिवहेहिं सोहिया रम्मा । मेरुस्स य जिणभवणा समासदो होति णिदिट्ठा ॥ ८१
जिनमवनोंका प्रमाण जानना चाहिये ॥ ७२ ॥ ये जिनभवन वैडूर्य, स्फटिक, मरकत, मसारगल्ल और इन्द्र ( इन्द्रनील ) रत्नोंसे विचित्र; अंजन, प्रवाल, मरकत और सुवर्णसे भूषित तलवाले, चन्द्रकान्त, सूर्यकान्त, उत्तम वन एवं लोहितां कसे सहित; उत्तम व बिल मणिपेंसि अतिशय निर्मल तथा अनुपम गुणोंसे युक्त होते हुए शोभायमान हैं ॥ ७३-७१ ॥ अतिशय निर्मल, विस्तृत, शुद्ध, प्रसाधित ( सजे हुए ), दर्शनीय, अत्यन्त मनोहर, नाना प्रकार के आकार अथवा मूर्तियोंसे सम्पन्न उत्तम कमल, कुमुद, कुत्रलय, नीलोत्पल, वकुल और तिलक वृक्षोंसे शोभायमान; कर्पूर, अगरु, चन्दन और कालागरुके धुरंके गन्धसे याप्त विजया व वैजयन्ती ध्वजा-पताकाओं से सहित; बहुत से कुसुमकी मालाओं से शोभायमान, विलास युक्त, मनको अभिराम, बहुनसे कौतुक एवं मंगलसे सनाथ, जगमगाती हुई कान्तिले सहित, आश्चर्यजनक रूप व श्रेष्ठ आकृतिसे युक्त, विविध प्रकारकी रची गई मंगल स्वरूप वन्दनमालाओं से उज्ज्वल शोभावाळे, नित्य मनोहर; प्रकाशमान मणिकिरणसमूह से संयुक्त; सुवर्ण, रत्न एवं महापणियोंसे प्रकाशमान प्रासादसमूह से युक्त, तथा अगरु, तुरुष्क व चन्दनकी नाना प्रकारको गन्धऋद्धिसे सम्पन्न, ऐसे महाप्रासाद दूरसे देखने मनोहर दिखते हैं ।। ७५-८० ॥ घंटा, किंकिणी, बुदबुद और चामरसमूहों से शोभायमान उन रमणीय मेरुके जिनभवनों का संक्षेपसे स्वरूप निर्दिष्ट किया गया है ॥ ८१ ॥
१ ज श मसारयणचिताणि. १ प साइ, ब गाइ. १ उ लोहियंकार्ण, श लोहियंकाल. ४ उ रा मडला. ५ उ चोकला खुपसाहिया, श चोक्खा सुपसाहिया ६ उ रा रूवसंछण्णा. ७ प ब ब उलयकय ८ उप ब विळसंतणामिदामा, श विलसंताणभिधामा ९ उ शतं. १० उ प ब श चंदण, ११ उ रा मनामिरामं. १२ यश संमारं, म संभार. १३ ड इसंत, श नसंत.
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