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चउत्यो उद्देसो
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ताहि चेव भइसाले मेरुस्स पदाहिणेण णिहिट्ठा । णामेण दिसगइंदा भट्टेव य पम्वया हॉति ॥ ७॥ पउमोत्तरी य जीलो सोवस्थिय भंजणो य कुमुदो य । पम्वदपलासणामो भवदंसो रोयणगिरी 4' ॥ ७५ सपजायणगोनदा सयजायणवित्थडा हु मूलेसु' सिहरसु य पण्णाला पणुवीसा गाढ भरणियले ॥ ॥ सीदासीदादाणं तदेसु ते होंति पबदा रम्मा । एकेकाण णदीणं चउरो पटरो य णायम्वा ॥७ वणवेदीपरिखित्ता मूलेसु तहा णगाण सिहरेसु । मणितोरणेहि रम्मा णाणामणिरयणदिपंता ॥.८ सिहरेसु देवणपरा णाणापासादभूसिदा रम्मा | सुरसुंदरिसंछण्णा वरपोक्खरिणीहि कयसोहा || ०९ धुवंतपयवाया जिणभवणविहूसिया मणमिरामा । सुरसयसहस्सपउरा भणाइणिहणा हु गयरा ॥ ८. णयरेसु तेसु राया णामेण य दिसगइंदणामसुरा । पलिदोवमाउगा ते अच्छति महाणुभावेण ॥ ८॥ पंचसया उच्चत्तं मंदरतलपीठियांखिदितलादो । विधिण्णा पंचसया पढमा सेटी णगवरस्स । .. वर्णवेदीपरिखित्ते मणितोरणमंदिदे पढमपीढे । चदुसु वि दिसासु रम्मा सुरभवणा ति चत्तारि ॥
स्थित बाठ दिग्गजेन्द्र नामक पर्वत कहे गये हैं ।। ७४ ॥ पनोत्तर, नील, स्वस्तिक, अंजन, कुमुद, पलाश पर्वत, अवतंस और रोचनगिरि, ये उन दिग्गज पर्वतोंके नाम हैं ॥ ७५ ।। उक्त पर्वत सौ योजन ऊंचे, मूलमें सौ तथा शिखरोंपर पचास योजन विस्तृत, और पृथ्वीतलमें पच्चीस योजन अवगाहसे युक्त हैं ।। ७६.॥ वे रमणीय पर्वत सीता-सीतोदा नदियों में से एक एकके तटोंपर चार चार जानने चाहिये ॥ ७७ ॥ उक्त पर्वत मूलमें और शिखरोंपर वनवेदीसे वेष्टित, मणिमय तोरणोंसे रमणीय और नाना मणियों एवं रत्नोंसे देदीप्यमान हैं ।। ७८ ॥ पर्वतोंके शिखरोंपर जो देवनगर हैं वे नाना प्रासादोंसे भूषित, रमणीय, सुरसुन्दरियोंसे व्याप्त, उत्तम पुष्करिणियोंसे शोमायमान, फहराती हुई ध्वजा-पताकाओंसे सहित, जिनभवनोंसे विभूषित, मनको अभिराम, लाखों देवोंसे प्रचुर
और अनादि-निधन हैं ॥ ७९-८० ॥ उन नगरोंमें जो दिग्गजेन्द्र पर्वतोंके समान नामवाले अधिपति देव हैं वे पत्योपम प्रमाण आयुके धारक होते हुए वहां महा प्रभावके साथ रहते हैं ॥ ८१ ॥ मन्दरतलपीठिका रूप. पृथिवीतलसे पांच सौ योजन ऊपर जाकर पांच सौ योजन विस्तीर्ण मेरु पर्वतकी प्रथम श्रेणी (प्रथम परिधि) है ।। ८२ ॥ पनवेदीसे वेष्टित एवं मणिमय तोरणांसे मण्डित उक्त प्रथम पीठपर चारों ही दिशाओंमें रमणीय चार देवप्रासाद हैं ।। ८३ ॥ वहां सोम, यम, वरुण और कुबेर
उ गरीपा, श गरी य. २ उश वित्थडा यति मूलेस. ३ उश जिहरेस. ४ ड परश गगण. ५ उश भूमिदा, व भूमिया. (प मंदिरगिरिपोटिया, व मंदिरगिरिलटिया. ७ उ शखिदितला. ८ उशषण, ९ उश दिससु. नं.दी..
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