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जंबूदीवपण्णत्ती छन्वुडेसरावसिहरी उवविठ्ठसरावसंपुडायारो' । पिरचो अणाइणिहणो तसथावरमसुगणावासो' || ९ पुग्यावरेण या ससेव य तस्स होति रज्जूणि । दक्खिणउत्तरपासे एमओ रज्जू समुट्ठिो ॥ १० माझे सिहरे य पुणो एया रज्जू य होह विस्थिण्णा । मूले" य बमलोए सत्त दु तह पंच रज्जूणि ॥" उच्छेहेण य णेया चउदसरज्जू जिणेहि पण्णत्ता । सत्तेव य आयामो विक्खंभो होइ एक्को दु ॥ १२ तस्स दु मजो गेयो लोगो पंचेंदियाण णिहिट्ठो । झल्लीमायारो खलु णिदिठ्ठो जिणवरिंदेहि ॥ १३ तसजीवाणं लोगो चउदहारज्जूणि होइ उच्छेहो । विक्खंभायामेण य एया रज्जू मुणेयवा ॥ १४ पंचेंदिवाण लोगे वादरसुहुमा जिणेहि पण्णत्ता | परदो बादररहिदो सुहुमा सम्वस्थ विण्णेया ॥ १५ पच्छिमपुष्वरिसाए विक्खंभो तस्स छोह लोयस्स | सत्तेगपंचएया मूलादो होति रज्जूणि ॥ १६ दक्खिणउत्तरदो पुण विखंभो होइ सत्त रज्जूणि ! चदुसु वि दिसाविभागे घउदस रज्जूणि उत्तुंगो ॥१७ लोयस्स तस्स या अणेयसंठाणरूवजुत्तस्स । उवमादीदत्स तहा बहुभेदपयत्यगन्भरस ॥ १८
हुए सकोरेके शिखरके सदृश; एवं समस्त आकार शरावसंपुट अर्थात् दो सकोरोंको एकके ऊपर दूसरा उलटा कर रखे हुए सकारोंके आकारका है । यह लोक अनादिनिधन तथा त्रस और स्थावर जीवोंका निवासस्थान है ॥ ८-९॥ यह लोक पूर्व-पश्चिममें सात राजु और दक्षिण-उत्तर पार्श्वमें एक राजु (?) कहा गया है ॥१०॥ उक्त लोक मध्यों व शिखरपर एक राजु, मूलमें सात राजु, और ब्रम्हलोकमें पांच राजु विस्तीर्ण है ॥ ११॥ जिनमगवान्ने उक्त लोकका उत्सेध चौदह राजु, आयाम सात . राजु और विष्णम्म एक राजु (1) प्रमाण कहा है ॥ १२॥ जिनेन्द्र भगवान्न उसके मध्यमें झालरके आकार पंचेन्द्रियोंका लोक कहा है ॥ १३ ॥ त्रस जीवोंका लोक (सनाली ) चौदह राजु ऊंचा और एक राजु प्रमाण विष्कम्भ व थायामसे युक्त जानना चाहिये ॥ १४ ॥ जिन भगवान्ने पंचेन्द्रियोंके लोकमें बादर और सूक्ष्म दोनों प्रकारके जीव बतलाये हैं। इसके परे वह बादर जीवोंसे रहित है। सूक्ष्म जीव सर्वत्र जानने चाहिये ॥ १५॥ उस लोकका विष्कम्भ पूर्व-पश्चिम दिशामें नीचेसे क्रमशः सात, एक, पांच और एक राजु प्रमाण है ॥ १६॥ उक्त लोकका विष्कम्म दक्षिण-उत्तर दिशामें सात राजु है । उंचाई उसकी चारों ही दिशाविभागमें चौदह राजु प्रमाण है ॥ १७॥ बहुत प्रकारके पदार्थोंको गर्भमें धारण करनेवाले और अनेक भाकार व रूपसे संयुक्त उस उपमातीत ( अनुपम ) लोकके बहुमध्य देशमें दूने दूने
१ब सम्वुदु, श उबुद्ध. २ उ श उवदिवसागव. प व उवविद्वस राव ३ प ष संपुष्यारो. ४ उश असगुणावासो, पब भणुगणावासो. ५ उ प ब श मूलो. ६श झल्लय, ७ उ पब श लोगो. ८ उश सहुमाए निणेहि, पब सुहुम जिणहि. ९५ ब दिसामु भागे. १० उ श उवमादीतस्स. ११ पब गतस्स.
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