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जनूदीवपणती
वरचामरभामंडकछत्तत्तयकुसुमवरिसणिवहहिं । सम्वोवकरणसहिया जिगपडिमाभो विरायति ॥११ उववादपरा गेया महिसेयधरा य मंडणघरा य । भत्थाणघरा विडला गम्भवरा कीरण य ॥ ११२ णास्पषरा विचित्ता वरवरमुदिंगपागंभीरा । मोहणघरा विसाका कालागरुसुरहिगंधडा ॥ १४३ डोळाघरा य रम्मा जाणामणिविप्फुरंतकिरणोहा । संगीयधरा सुंगा सभाषरा ति रमणीया ॥११॥ एवं भवसेसाणं दीवाणं सुरवराण' पउमेसु । जंबूस सामकीसु य संखापरिमाण णिट्टिा ॥ ११५ पडमस्सं सिहरिजस्स यतिपणेव महाणदी समुट्ठिा । भवसेसाण दहाणं सरियामोहति दो दो॥१४६ गंगा पडमददादो जिस्सरिदूणं तु तोरणदुवारे । पुष्वाभिमुहेण गर्यो पंचेव य जोयणसदाणि || १४७ गंगाकुटमपत्ता जोयणमद्धेण दक्खिणे वलिया। पंचेव जोयणसया तेवीसा भड़कोसधिया ॥ ११८ हिमवंतमंतमणिमयवरकूटमुहम्मि वसहस्वाम्म । पविसित्तु पद धारा सयजोयणतुंगससिधवला ॥ १४९
उत्तम चामर, भामंडल, तीन छत्र और कुसुमवृष्टिके समूहोंसे विराजमान हैं ॥ १४१ ॥ उक्त जिनभवनोंमें विशाल उपपादगृह, अभिषेकगृह, मण्डनगृह, भास्थानगृह, गर्मगृह और विस्तृत क्रीडागृह जानना चाहिये । इनके अतिरिक्त उत्तम तूर्य एवं मृदंगके शब्दसे गंभीर विचित्र नाटक गृह, कालागरुकी सुगन्धसे व्याप्त विशाल मोहनगृह (मैथुनगृह ), नाना मणिओंके प्रकाशमान किरणसम्हसे युक्त रमणीय दोलागृह, उन्नत संगीतगृह और रमणीय सभागृह भी होते हैं ॥१४२-११४॥ इसी प्रकार अवशेष द्वीपोंके पों, जम्बूवृक्षों और शाल्मलिवृक्षोंपर स्थित उत्तम देवों की संख्याका प्रमाण निर्दिष्ट किया गया है ॥११५॥ पद्म द्रह और शिखरी पर्वत पर स्थित महापुण्डरीक द्रहसे निकली हुई तीन तीन महानदियां तथा शेष द्रहोंसे निकली हुई दो दो नदियां कही गई हैं ॥ १४६ ॥ गंगानदी पद्म द्रहके पूर्व तोरणद्वारसे निकलकर पांच सौ योजन प्रमाण पूर्वकी और जाकर गंगाक्टको न पाकर अर्ध योजन पूर्वसे दक्षिणकी
ओर मुड़ जाती है। पुनः पांच सौ तेईस योजन और अर्ध कोशसे अधिक आगे जाकर हिमवान्पर्वतके अन्तमें वृषमाकार मणिमय उत्तम कूट ( नालि ) के मुखमें प्रवेश करके सौ योजन ऊंचेसे चन्द्रके समान धवल गंगानदीकी धारा नीचे गिरती है ॥ १४७-१४९ ॥
विशेषार्थ- यहा पर्वतके ऊपर दक्षिणकी और जो गंगा नदीका ५२३१ योजन प्रमाण जाना बतलाया गया है उसका कारण यह है कि गंगा नदी पर्वतके ठीक मध्यमें से जाती है। अत एव पर्वतके विस्तार (१०५२१३ यो.) मेंसे नदीके विस्तार (42 यो.) को घटाकर शेषको आधा करनेपर दक्षिणकी ओर जानेका उपर्युक्त प्रमाण प्राप्त हो जाता है१०५२१३-६+२% ५२३११ ।
श
क्षधरा. व सरवराण. शवसवइम्मि.
उश सिहरिमस य. "श पुम्वामिमुहे पगया.
५१श
अह.
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