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..] जंबूदीवपण्णत्ती
[३. ८०णीलुप्पलणीसासा अक्षिणवलावण्णरूवसंपण्णा । दसणसुहवसुहार णिम्मलवरकणयसंकासा ॥ ८० सुकुमारपाणिपादा भाहरणविहूसिया मणभिरामा । कोइलमहुरालावा कलगुणविण्णाणसंपण्णा ॥ ८॥ इंसबहुगमणदछ। पीणोरुपमहरा धवलणेत्ता । संपुण्णचंदवयणा णववियसियकमलगंधड्ढा ॥ ८२ सकुमारवरसरीरा भिण्णंजणणिदणीलवरकेसा । वियरणियंबमणोहरथणभरभजंतवरमहा ॥ ८३ पलिदोवमाउठिदिया विज्जाहरसुरणराण मणखोहा । पउमेसु समुप्पण्णा महिलाधम्मेण उप्पण्णा ॥ ८४ सिरियादीदेवीण परिवारगणाणे पउमवरभवणा | लक्खं चत्तसहस्सा सच पण्णरस परिसंखा ॥ ८५ सम्वाण देवीणं तिण्णेव हवंति ताण सुरपरिसा । सत्ताणीया य तहा देवा बररूवसंपण्णा ॥ ८६ भन्भतरपरिसाणं भाइचो सुरवरो हवे पमुहो। बहुविहदेवसमग्गो भोलग्गइ सददकालं सो ॥ ८७ संणपदकदमो उप्पीलियसारपट्टिया मज्झे । धणुफलहससिहस्थो सूरसमत्यो मदिपगम्भों ।। ८८ पजतमहामउमओ वरहारविहूसिमो विउलवच्छो । कडिसुतकडयकोंडलवस्थादिमलंकियसरीरो ॥ ८९
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लावण्यमय रूपसे सम्पन्न, देखनेमें सुभग व सुखकर, निर्मल एवं उराम सुवर्णके सहश प्रभावाली, सुकुमार हाथ-पैरोवाली आमरणोंसे विभूषित, मनको अभिराम, कोयळके समान मधुरभाषिणी; कलाओं, गुणों एवं विज्ञानसे सम्पन्न, हंसवधू (हंसी) के समान गमनमें दक्ष, स्थूल जंघा व पयोधरीसे सहित, धवल नेत्रोंवाली, सम्पूर्ण चन्द्रके समान मुखसे सहित, नव विकसित कमलके गन्धसे . व्याप्त, सुकुमार उत्तम शरीरवाली, मिन्न अंजनके समान स्निग्ध उत्तम नोले केशविाली, विशाल नितम्ब एवं मनोहर स्तनोंके भारसे भंग होनेवाले मध्य भागसे संयुक्त, एक पल्योपम प्रमाण आयुस्थितिसे संयुक्त, विद्याघर, देव एवं मनुष्यों के मनकी क्षोमित करनेवाली, और महिलासे युक्त होती हैं ॥ ८०-८४ ॥ श्री आदि देवियों के परिवारगणोंके कमलोंपर स्थित उत्तम भवन एक लाख चालीस हजार एक सौ पन्द्रह (१४०११५) हैं ॥ ८५॥ सब देवियोंके तीन सुरपरिषत् तथा उत्तम रूपसे सम्पन्न सात अनीक देव होते हैं ॥ ८६ ॥ अभ्यन्तर पारिषदोंका प्रमुख आदित्य नामक उत्तम देव होता है। वह बहुत प्रकारके देवोंसे युक्त होकर सतत काल [श्री देवीकी ] सेवा करता है ।। ८७ ।। वह आदित्य देव युद्धके लिये तत्पर होकर कवचको बांधे हुए, मध्यमें कसकर श्रेष्ठ पट्टिकाको बांधनेवाला, हायमें धनुष, पटा ( या धनुषफलक ) एवं शक्तिको लिये हुए, शूमेिं समर्थ, मतिप्रगल्भ (बुद्धिमान् ) प्रकाशमान महा मुकुटसे सहित, उत्तम हारसे विभूषित, विशाल वक्षस्थल से संयुक्त; तथा कटिसूत्र, कटक, कुण्डल, एवं वखादिसे अंलकृत शरीरसे युक्त
१.पब दसणसुहवसुहगरा. २७ प व श दछा. ३ उश उप्पणा. ४ प व गणणा. ५ उश संपुण्णा. ६पय उलग्गह सदकालं, ७ब मदियगशो, श मदियगम्भो.
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