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तदिओ उद्देसो सम्वे वि वेदिसहिदा मणिमयजिणचेहएहि संपण्णा । उववणकाणणसहिया दीगिरिंदा मुणेयन्वा ॥ ३२ घरदहसिदादवत्ता सरिचामरविज्जमाणे बहुमाणा । कप्पतरुचारुचिण्हा वसुमइसिंहासणारूढा ॥ ३३ घेदिकडिसुत्तणिवहा मणिकूडफुरतैदिन्यवरमउदा । णिज्झरपलं बहारा तरकुंडलमंडियागंडा॥३४ सुरघरैकंठाभरणा वणसंडविचित्तवत्थकयसोहा । गोउरतिरीडमाला पायारसुगंधदामट्ठा ।। ३५ तोरणकंकणहत्था वज्जपणालीफुरतकेऊरा । जिणभवणतिलयभूदा भूहरराया विरायति ||३६ अंजणदाहिमुहरहयरमंदरवरकुंडलाण सेलाणं । ति सहस्सवगाढा' सोदयचउभाग सेसाणं ।। ३७. वजमया अवगाहाँ गिरीण सिहरा हवंति रयणमया । दहसरिकुंडाण तहा भूमितहा वजपरिणामा ॥ ३४ एयारसट्ठणवणवअट्टेयारस हवंति कूडाणि । हिमवंतादो गेया जाव दु वरसिहरिपरियंता ॥ ३९ सिद्धहिमवंतभरहा इलो गंगा इवंति कूडाण । सिरिरोहिदसिंधुसुग हेमवदा वेसमणणामा ॥ ४०
जिनचैत्योंसे सम्पन्न बार वन उपचनास सहित हैं, ऐसा जानना चाहिये ॥ ३२ ॥ उत्तम द्रहरूपी धवल आतपत्रसे सहित, नदीरूपी चामरोंसे वीज्यमान, बहुत प्रमाणसे सहित, कल्पवृक्षरूपी उत्तम चिोसे युक्त, पृथिवीरूपी सिंहासनपर आरूढ, वेदीरूप कटिसूत्रसमूहसे संयुक्त, मणिमय कूट रूप प्रकाशमान उत्तम दिव्य मुकुटसे मुशोभित, निररूपी लम्बे हारसे अलंकृत, वृक्षरूपी कुण्डलोंसे मण्डित कपोलोंवाले, सुरगृहरूपी कण्ठाभरणसे विभूषित, वनखण्डरूपी विचित्र वस्त्रोंसे शोभायमान, गोपुररूपी किरीटमालासे रमणीय, प्राकाररूपी सुगन्धित मालासे वेष्टित, तोरणरूप कंकणसे विभूषित हाथोंवाले, वज्रमय नाली रूप प्रकाशमान केयूरसे सहित, और तिलक स्वरूप जिनभवनोंसे संयुक्त ऐसे कुलाचल रूपी राजा विराजमान हैं ॥ ३३-३६ ॥ अंजनगिरि, दघिमुख, रतिकर पर्वत, मन्दर (मेरु ) और उत्तम कुण्डल नग, इन शैौंका अवगाह हजार योजन प्रमाण तथा शेष पर्वतोंका वह अपनी उंचाई के चतुर्थ भाग प्रमाण होता है ॥ ३७ ॥ पर्वतोंके अवगाह (नीव) वनमय और शिखर रत्नमय होते हैं। द्रइ, नदी तथा कुण्डोंके भूमितल वन स्वरूप होते हैं ॥ ३८ ॥ हिमवान्से लेकर शिखरी पर्वत पर्यन्त उक्त पर्वतोंके क्रमसे ग्यारह, आठ, नौ, नौ, आठ और ग्यारह कूट हैं ॥ ३९ ॥ सिद्धक्ट, हिमवान्कूट, मरतकूट, इलाकुट, गंगाकूट, श्रीक्ट, रोहित (रोहितास्या) क्ट, सिन्धुकट, सुराकुट, हैमवतकट, और वैश्रवणकूट, ये ग्यारह कूट हिमवान् पर्वतपर स्थित हैं |॥४०॥ सिद्धकूट, [महा] हिमवान्कूर,
१५ वरदहसियादिवण्णा. २ उश विजमाण. ३ उश किरत, पब फुरति. ४ उ सुरम्बर, शरघर. ५ उश करत. उपवश सहस्सुवगाटा. ७ प व अवणेहा. ८ उपबश परियत्ता.९ पबईला.
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