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३.] जंबूदीवपण्णत्ती
[१.२१देचे सदा या तेणउदा दसकला समुहिट्ठा । सत्तावण्णसहस्पा धणुपद्रुक्कस्स सेकाण ॥ २॥ छाहत्तरि बिण्णिसदा णव य सहस्साणि जोयणा गेया।णव य कला अदकला पासभुजा होंति सेलाणं ॥ २२ भठ्ठावीसं च सदै जट्ठसहस्साणि जोयणुदिट्ठा । अद्र य पंचमभागा णगाण चूली वियाणाहि ॥ २१ तवणिज्जमभो' णिसहो वेरुलियमो दुणीलवण्णो दुबे विणगा विण्णेया जाणामणिरयगचिंचइदा ॥ २५ चत्तारिसया तुंगा सदभवगाढा' फुरंतमणिकिरणा। सोलससहस्स भरसय बादाला ये कला हेदा ॥ २५ पूगुत्तरणक्यसया तेहत्तरि तह सहस्स सेलाणं | सत्तरस कला गया जहण्णजीया समुट्ठिा ॥ २६ चउणडदिं च सहस्सा सदं च छप्पण्ण बे का अधिया। पुवावरेण णेया आयामा ति उक्कस्सा ॥ २० यत्तारि कला अधिया सोलस चुलसीदिजोयणसहस्सा |णीलणिसहाण या जहण्णधणपट्ट णिट्टिा ॥ २८ छादाला तिण्णिसदा चउवीससहस्सणीलणिसहाणं । एर्ग च सदसहस्सं णव भागा जेट्टधणुपट्टे ॥ २९ पण्णट्टि सदा णेया वीससहस्सा य णालणिसहाणं । पस्सभुजा णायब्वा भड्ढादिज्जा कळा भहिया ॥३० सत्तावीसं च सदी दस य सहस्साणि बे कला अधिया । णीलणिसहाण गेया चूलियसंखा समुट्टिा ॥३१
घन हजार दो सौ तेरानबै योजन और दश कला ( ५७२९३१) प्रमाण कहा गया है॥२१॥ उक्त शैलोंकी पार्श्वभुजा नौ हजार दो सौ छयत्तर योजन और साढ़े नौ कला (९२७६३१) प्रमाण जानना चाहिये ॥ २२ ॥ उक्त पर्वतोंकी चूलिका साढ़े चार भागोंसे अधिक आठ हजार एक सौ अट्ठाईस योजन (८१२८१४) जानना चाहिये ॥२३॥ निषध पर्वत सुवर्णमय और नील पर्वत वैडूर्यमणिमय नीलवर्ण है। नाना मणियों व रत्नोंसे मण्डित ये दोनों ही पर्वत चार सौ योजन ऊंचे, सौ योजन अवगाहसे युक्त, प्रकाशमान मणिकिरणोंसे सहित, और सोलह हजार आठ सौ ब्यालीस योजन व दो कला ( १६८४२३२२ ) प्रमाण विस्तारवाले हैं ॥ २४-२५॥ इन शैलेोकी जघन्य जीषा तिहत्तर हजार नौ सौ एक योजन और सत्तरह कला ( ७३९०११३) प्रमाण कही गई जानना चाहिये ॥ २६ ॥ उक्त पर्वतोंकी उत्कृष्ट लम्बाई ( जीवा ) पूर्व-पश्चिम चौरानबै हजार एक सौ छप्पन योजन और दो कला ( ९४१५६३२) अधिक जानना चाहिये ॥ २७ ॥ नील व निषघ पर्वतोंकी जघन्य घनुषपृष्ठ चौरासी हजार सोलह योजन और चार कला अधिक ( ८४०१६१ ) जानना चाहिये ॥ २८ ॥ नील और निषधका उत्कृष्ट धनुषपृष्ठ एक लाख चौबीस हजार तीन सौ छयालीस योजन और नौ भाग (१२१३४६११) प्रमाण है ॥ २९ ॥ नील व निषध पर्वतोंकी पार्श्वभुजा बीस हजार एक सौ पैंसठ योजन
और अढ़ाई कला अधिक (२०१६५ ) जानना चाहिये ॥ ३० ॥ नील निषध पर्वतोंकी चूलिकाका प्रमाण दश हजार एक सौ सत्ताईस योजन और दो कला अधिक (१०१२७१२६ ) कहा गया है ॥ ३१ ॥ ये सब ही लम्बे पर्वत वेदियोंसे सहित, मणिमय
१.उश तबमज्जमओ. २ प ब सदेवअवगाटा. ३ उश सदा. ४७ प व श केवला.
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