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जंबूदीवपण्णत्ती
[ २. ७५
छत्तत्तयसिंहासणवरचामरकुसुमवरिससंपण्णा । भामंडलादिसहिदा जिणपडिमाओ णमंसामि ॥ ७५ गाउयवस्थिपणा दोसु वि पासेसु पव्वदायामा । वेदड्ढाण णगाणं वणसंडा होति णिहिडा || ७६ बेगाउद उव्विद्धा पंचधणुस्सयपमाणवित्थिण्णा । णाणातोरणणिवहा वरवेदिविहूसिया रम्मा ॥ ७७ फणसंचतालदाडिम असोयपुण्णायणायरुक्खेहिं । वरबउलतिलयचंपयकुंकुमकप्रणिवदेहिं ॥ ७८ एलातमालचंदणलवंगक्रक्कोलकुंद णिवहेहिं । णारंगतुंगलवली सज्जज्जुणकुडयजादीहि ' ॥ ७९ पूँगफलर त्तचंदणध वैधम्मणणालिकेरकदलीहिं । आसत्थतालतिं दुगणग्गोपलासपउरेहिं ॥ ८० कंचणकयंत्रकेयइकणवीरकसायकुज्जयादीहिं । णाणावणगुंछेहि" य उज्जाणवण विरायंति ॥ ८१ कल्हारकमलकंदलणी लुप्पलफुल्लियाहि विउलाहिं । सोहंति सरवरेहि य वप्पिणवावीहि पउराहि ॥ ८२ 1 सव्वे व तहा वितरदेवाण होति वरणयरा । पायारगोउरजुया णाणामणिरयणपासाया ॥ ८३ सत्ततला विष्णेया कंचणमणिरयणमंडिया दिव्वा । मणिगणजलंत थंभा पीलुप्पल कमलगन्भाही ॥ ८४
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तीन छत्र, सिंहासन उत्तम चामर और कुसुमवृष्टिसे सम्पन्न तथा भामण्डलादि से सहित जिनप्रतिमाओंको मैं नमस्कार करता हूं ॥ ७५ ॥ वैताढ्य पर्वतोंके दोनों ही पार्श्वभागों में पर्वतोंके बराबर लंबे और दो कोश विस्तीर्ण वनखण्ड निर्दिष्ट किये गये हैं ॥ ७६ ॥ ये रम्य वनखण्ड दो कोश ऊंची, पांच सौ धनुष प्रमाण विस्तीर्ण, और नाना तोरणसमूहोंसे संयुक्त ऐसी उत्तम वेदिकासे विभूषित हैं || ७७ || ये उद्यानवन पनस, आम्र, ताल दाडिम, अशोक, पुन्नाग और नाग वृक्षोंसे; उत्तम बकुल, तिलक, चम्पक, कुंकुम और कर्पूर वृक्षोंके समूहोंसे; एला, तमाल, चन्दन, लवंग, कंकोल ( शीतलचीनी ) व कुंद वृक्षोंके समूहोंसे; नारंगी, तुंग (पुन्नाग), लवली, सर्ज, अर्जुन, कुटज व जाति (चमेली या जावित्र) के वृक्षोंसे; पूगफल (सुपाड़ी), रक्त चंदन, धव, धम्मण, नारियल, कदली, अश्वत्थ, ताल, तेंदू, न्यग्रोध, पलाश, कांचन ( कचनार ? ), कदंब, केतकी, कणवीर ( कनेर ), कषाय और कुज्जक आदि नाना वनवृक्षोंसे विराजमान हैं ॥ ७८-८१ ॥ ये वन कल्हार, कमल, कन्दल और नीलोत्पल फूलोंसे सहित; विपुल सरोवरों तथा प्रचुर वप्रिण (नहर ) एवं वापियोंसे शोभायमान हैं ॥ ८२ ॥ सत्र वनोंमें प्राकार व गोपुरोंसे युक्त और नाना मणिमय एवं रत्नमय प्रासादोंसे सहित व्यन्तर देवोंके श्रेष्ठ नगर हैं ॥ ८३ ॥ उक्त व्यन्तरनगर सुवर्ण, मणि एवं रत्नोंसे मण्डित; दिव्य मणिसमूहसे चमकते हुए स्तम्भोंसे सहित, तथा नीलोत्पल व कमलगर्भके समान आभासे संयुक्त सात तलोंवाले जानना चाहिये ॥ ८४ ॥ इनमेंसे कितने ही प्रासाद कुंकुमवर्ण,
१ उ क्रुडयस जाहीहि, ब कुंडयजादीहिं, श कुडयजाहीहि. २ श पुंगफलरत्तयंदण. ३ उ घर, श धव. ४ उ किंदूमणलोह, प किंतुमणग्गोह, व किंदुमणगोह, श किंदूमणलगोह. ५ उश गच्छे हि. ६ उ उज्जाणविणा. ७ उ श वाविहि पउरेहि ८ उश गोउरज्जया, प ब गोउरजुय. ९ प सब्भाहा, व छहप्ताहा.
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