SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 117
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जम्बुद्वीवपण्णतिकी प्रस्तावना ६६९७५०००००००००००००० तारे होते हैं। जम्बूद्वीप में २ चंद्रमा, लवण समुद्र में ४ चंद्रमा, धातकीखंड में १२ चंद्रमा, कालोदक समुद्र में ४२ चंद्रमा, पुष्करवर अर्द्ध द्वीप में मानुषोत्तर पर्वत से इसी ओर ७२ चंद्रमा, तथा मानुषोत्तर से बाहर प्रथम पंक्ति में १४४ चंद्रमा अपने अपने परिवार सहित हैं। मानुषोत्तर से बाहर की प्रथम पंक्ति, द्वीप से ५०००० योजन आगे जाकर है जहां चंद्रों की संख्या १४४ है । उससे आगे एक एक लाख योजन आगे जाकर, उत्तरोत्तर सात पंक्तियां अथवा वलय है जहां के चंद्रों का प्रमाण इस आदि प्रमाण १४४ से ४ प्रचय को लेकर वृद्धि रूप है, अर्थात् वहां क्रमशः १४८, १५२, १५६,.. आदि चंद्रों की संख्या है। इसके आगे के समुद्र की भीतरी पंक्ति में २८८ चंद्र है। यहां भी, एक एक लाख योजन चल चलकर वलय स्थित हैं जहां चंद्र त्रिम्बों का प्रमाण ४, ४ प्रचय लेकर वृद्धि रूप है । पुनः इस समुद्र के आगे जो द्वीप है वहां २८८४२ प्रमाण चंद्र बिम्ब प्रथम पंक्ति में हैं और १, १ लाख योजन 'चल चल कर उत्तरोत्तर स्थित ६४ पंक्तियों में ४, ४ प्रचय लेकर चंद्र त्रिम्बों का प्रमाण वृद्धि रूप अवस्थित है। इस प्रकार प्रथम तीन द्वीपों ( जम्बूद्रीप, धातकीखंड द्वीप और पुष्करवर द्वीप ) तथा दो समुद्रों ( लवण समुद्र और कालोदधि समुद्र ) को छोड़कर, भगले समुद्र तथा द्वीपों में स्थित चंद्रों के प्रमाण को निकालने के लिये न्यास दिया गया 1 तृतीय ( पुष्करवर ) समुद्र में वलयों या पंक्तियों की संख्या ३२ है, इसलिये यहां गच्छ ( number of terms ) ३२ है । प्रथम पंक्ति में २८८ चंद्र बिम्ब हैं, इसलिये २८८ गुण्यमान राशि (first term ) है । ४ प्रचय ( common difference ) है । चतुर्थ ( वारुणीवर ) द्वीप में वलयों की संख्या ६४ है, इसलिये गच्छ ६४ है । प्रथम पंक्ति में ( २८८ x २ ) = ५७६ चंद्र है, इसलिये गुण्यमान राशि ५७६ है । ४ प्रचय है । इसी प्रकार पांचवें ( वारुणीवर ) समुद्र में गच्छ १२८, गुण्यमान राशि ११५२ है तथा ४ प्रचय है । इस प्रकार, इन द्वीपों तथा समुद्रों में चंद्र बिम्बों का प्रमाण, हम समान्तर भेटि के संकलन के आधार पर सूत्र का प्रयोग करेंगे । हां गच्छ n है, गुण्यमान राशि ( प्रथम पद ) 8 है, तथा प्रचय d है, वहां, १०० कुल धन = इसलिये, तृतीय समुद्र में, समस्त चंद्र त्रिम्बों का प्रमाण = ३२ { २ × २८८ + (१२ – १ ) x ४ } २ = ३२ × २८८ + (३२ - १) ४६४ होता है । चतुर्थी ( वारुणीवर ) द्वीप में, समस्त चंद्र बिम्बों का प्रमाण = - ¥ x { २' x २८८ + (६४ - १ ) x ४} = ६४ × २ × २८८ + (६४ - १) ४६४४२ होता है । पंचम ( वारुणीवर ) समुद्र में, समस्त चंद्र बिम्बों का प्रमाण {28+ (n - १)d } होता है । Jain Education International - १२८ x २ x २८८ + (१२८ - १) ४४ } = = ६४ × २३ × २८८ + (१२८ - १ ) ६४२ होता है । इत्यादि । यदि कुल द्वीप समुद्रों की संख्या 1 ली जावे तो पांच द्वीप छूट जाने के कारण, हमें केवल n - ५ ऐसे होनेवाले प्रमाणों का योग, कुल चंद्र बिम्बों का प्रमाण निकालने के लिये करना पड़ेगा। इस योग में For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002773
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2004
Total Pages480
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Mathematics, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy