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योनम
तिकोषपण्णसिका गणित
इस शंखाकार आकृति (३४ अ) का क्षेत्रफल (3)+ ४८ = ७३.२८ वर्ग योजन प्राप्त होता है। यदि रम्भ का उत्सेध ५ योजन हो, तो घनफल, आधार का क्षेत्रफल तथा उत्सेघ का गुणन फल, होता है।
इसलिये, यहां घनफल ७३.२८४५
अथवा बादररूपेण ३६५ धनयोजन प्राप्त होगा। हो सकता है कि ग्रंथकार द्वारा निर्देशित आकृति की नियोजना दूसरी रही हो। ऐसे क्षेत्र के क्षेत्रफल का स्त्र ग्रंथकार ने दिया है:
[(विस्तार) - (इ) + (इ)]x इसे शंखक्षेत्र का गणित कहा गया है । यहां, विस्तार १२ योजन एवं मुख ४ योजन है।
भnिi स्केल-tem. १.
यह आकृति सम्भवतः चित्र ३४ ब में बतलाये हुए सांद्र के सहश हो सकती है।
आकृति ४
___ आगे, पद्म के आकार के सांद्र का धनफल निकालने के लिये सूत्र दिया गया है। यह सांद्र बेलनाकार होता है। इसका घनफल निकालने के लिये
आधुनिक सूत्र T. २. h. का उपयोग किया गया है, जहां का मान ३ लिया गया है, २r अथवा व्यास १ योजन है तथा उत्सेध १०००१ योजन है। आकृति-३४ स देखिये।
महामत्स्य की अवगाहना, आयतज ( cuboid ) के आकार का क्षेत्र
है, जहां घनफल ( लम्बाई ४ चौड़ाई ४ ऊँचाई ) होता है। आकृति:
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