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युगप्रधान आ. जिनदत्तसूरिजी का जैन धर्म एवं साहित्य में योगदान
आपने मनुष्यमात्र के कल्याण के लिए गूढ विषयों के अर्थो को सरल रूप में प्रस्तुत करने के लिए अनेक ग्रंथों की रचना की है।
आपकी कृतियों को यदि विषय विभाजन की दृष्टि से देखा जाय तो आपकी कृतियों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता हैं
१. स्तुतिपरक कृतियाँ २. औपदैशिक (उपदेश व आचार एवं सिद्धांत लक्षी)कृतियाँ एवम् ३. प्रकीर्ण कृतियाँ
भाषा की दृष्टि से देखें तो आपने संस्कृत, प्राकृत एवं अपभ्रंश भाषामें रचना की है। निम्न तालिका में आप की रचनाओं की सूचि दी गई है, तत्पश्चात् प्रत्येक कृति का परिचय विस्तार के साथ दिया गया है। प्रथम संस्कृत, बाद में प्राकृत और अन्त में आपकी अपभ्रंश रचनाओं का ब्योरा दिया गया है।।
आचार्य श्री जिनदत्तसूरिजी रचित कृतियाँ क्रम ग्रंथ का नाम
विषय पदसंख्या संस्कृत कृतियाँ अजित शांति स्तोत्र चक्रेश्वरी स्तोत्र सर्वज्नि स्तुति वीर स्तुति विंशिका
प्रकीर्ण पद व्यवस्था
स्तुति
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प्राकृत कृतियाँ गणधर सार्द्धशतकम् सुगुरु संथव सत्तरिया सर्वाधिष्ठायी स्तोत्र सुगुरु पारतन्त्र्य स्तोत्र विध्न विनाशी स्तोत्र श्रुत स्तव सप्रभाव स्तोत्र
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