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युगप्रधान आ. जिनदत्तसूरिजी का जैन धर्म एवं साहित्य में योगदान इस कृति का विषय पूर्णतः धर्मोपदेश है । जनसामान्य के लिए यह रचना अत्यन्त उपयोगी है। कालस्वरूप कुलक के द्वारा अध्यात्मजीवन की शिक्षा जनसामान्य के हृदयंगम कराना ही मुख्य हेतु रहा है।
श्री जिनदत्तसूरि द्वारा रचित कालस्वरूप कुलक की भाषा के विषय में विचार करने से स्पष्ट होता है कि यह ग्रन्थ भी बारहवीं शताब्दी का होने के कारण अपभ्रंश भाषा में ही रचा गया है। रचनाओं को विद्वत्तापूर्ण एवं समास के काठिन्य से दूर रखकर व्याकरण के सरल नियमों को ध्यान में रखकर तत्कालीन सामान्य समाज एवं जनसमुदाय तक प्रचलित लोकभोग्य भाषा का प्रयोग ही विद्वत्ता कहलाती है। उस समय समाज में अपभ्रंश भाषा का सर्वाधिक प्रचार प्रसार हो चुका था । युगप्रधान आचार्यश्री जिनदत्तसूरिजी तत्कालीन भाषा के भी मर्मज्ञ थे, इसलिए अपभ्रंश भाषा के साथ रचना में सामान्य देशज शब्दों का भी उपयोग किया है। भाषा में उकार, हकार के बाहुल्य ने उसे ओर भी अलंकृत कर दिया है । संक्षेप में कहा जा सकता है कि “लोकभोग्य अपभ्रंश भाषा के द्वारा आचार्यश्रीने कालस्वरूप कुलक के माध्यम से जन-जन तक अपने उपदेशों को पहुँचा दिया है।"
भाषा आलंकारिक, सरल और लघु समासयुक्त है।
रचना के हेतु की तरफ ध्यानाकर्षण करने से तत्कालीन समस्त परिस्थितियों का अवलोकन करना आवश्यक हो जाता है। जैसा कि पहले भी निर्देश किया जा चुका है कि कारण के बिना कार्य नहीं होता है। दूसरे शब्दों में कहे तो “आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है।" के आधार पर बारहवीं शताब्दी में चैत्यवास की परम्परा एवं उसमें हो रहे शास्त्र- अविधियुक्त कार्यों से सम्पूर्ण जैन सम्प्रदाय दूषित हो चुका था। जिनालयों और उपाश्रयों तक ही यह दूषण सीमित न रहा। धीरे-धीरे इसका प्रभाव सम्पूर्ण समाज की तरफ बढ़ने लगा। समाज भी इन कुरीतियों एवं कदाचारों से अछूता न रहा । क्योंकि यदि समाज का रक्षक ही भक्षक का रूप धारण करें तो समाज की रक्षा असम्भव हो जाती है। यदि उपदेशक एवं रचनाकार भी अविधि के मार्ग पर चलने लगे तो उस उपदेशक के उपदेश एवं रचनाकार की रचना समाज के लिए कालस्वरूप बन जाती है।
आचार्य श्री से पूर्व समाज की विभिन्न परिस्थितियों का अवलोकन संक्षेप में इस प्रकार हैं
ग्रन्थ की दूसरी गाथा के अनुसार शनि के मेष राशि पर आगमन से देश में विप्लवकारी उपद्रव प्रारम्भ हो चुके थे। लोग धर्म से परे होकर देव गुरु की अवहेलना
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