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________________ युगप्रधान आ . जिनदत्तसूरिजी का जैन धर्म एवं साहित्य में योगदान पूर्व वर्णित परिभाषाओं, व्याख्याओं एवं विद्वानों के मतों का पर्यालोचन करने के बाद चर्चरी शब्द का स्पष्टीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है - अ. चर्चरी रास (विशेषतः दंड रास) के समान वासन्तिक समूह नर्तन विशेष है । आ. चर्चरी होली के अवसर पर दो समूहों (स्त्री- पुरूष) में परस्पर विशेष उल्लास एवं विनोदमय ढंग से प्रतियोगिता के रूप में की गयी जलक्रीडा है । इ. इसे खेलने व गाने का प्रचलन सामान्यतः निम्न वर्ग के लोगों में था । ई. राजस्थान प्रदेश में चर्चरी शब्द विवाह के समय किये जाने वाले क्रिया विशेष के लिए भी प्रयुक्त हुआ है। उ. एक प्रकार का छन्द है । जो विभिन्न ग्रन्थों में शास्त्रीय छन्द के रूप में प्रयुक्त 1 हुआ है। ऊ. यह एक प्रकार का लोकगीत विशेष था। एक प्रकार का राग था, जिसको परवर्ती साहित्य में " चर्चरी राग” के नाम से अभिहित किया गया है । १८५ उपरोक्त व्याख्याओं एवं वर्णनों के अलावा " चर्चरी ” का उपयोग छन्द के रूप में भी किया गया है। यह वर्णित छन्दों में सम वृत्त का एक भेद है । 'छन्द प्रभाकर' में चर्चरी छन्द का लक्षण 'र स ज ज म र' गण के योग से बनता है । जिसका रूप है - 151 ऽऽ। SIS SIS आइरगण हत्थकाहल ताल दिज्जहु मज्झवा, सद्धहार पलंत विण्णा विसव्वोजहिबुज्झिवा । वेविकाहल हार पूरह संख कंकण सोहणा, अराव भांत सुंदरि चच्चरी मणमोहणा || इस चर्चरी छन्द के प्रत्येक चरन में १८ वर्ण होते हैं । III ISI समग्र विवेचनों की परिचर्या से स्पष्ट होता है कि चर्चरी एक प्रकार का गीत होता है जिसको नृत्य तथा क्रीडापूर्वक गाया जाता है। धीरे-धीरे इसका प्रचलन बढ़ने लगा और १२ वीं सदी में तो चर्चरी का चतुर्दिक बोलबाला हो गया था । कालान्तर में रास के समान ही इसका भी मूलतत्व या अभिनय लुप्त हो गया और यह मात्र गीत का रूप धारण करके अविशिष्ट रहा। तत्कालीन जैन समाज में वासन्तिक उल्लास प्रेरक चर्चरी की लोकप्रियता इतनी बढ़ गयी थी कि चैत्यों में भी इसने श्रृंगारिक स्थान प्राप्त कर लिया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002768
Book TitleJinduttasuri ka Jain Dharma evam Sahitya me Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSmitpragnashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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