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________________ युगप्रधान आ. जिनदत्तसूरिजी का जैन धर्म एवं साहित्य में योगदान पश्चिम भारत, खास कर के गुजरात, राजस्थान एवं मालवा रहा है, इस लिए इन प्रदेशों में प्रवर्तमान समकालीन परिस्थितियों का हम विहंगावलोकन करेंगे। तत्कालीन राजनैतिक परिस्थिति : हमारे युगप्रवर चरित्रनायक पश्चिम भारतवर्ष में अवतीर्ण हुए थे, उस समय के वहाँ के राजनैतिक वातावरण पर दृष्टिपात करना अति आवश्यक होगा। आचार्यवर श्री जिनदत्तसूरि जी ने अनैक्य के युग में जन्म ग्रहण किया था। श्री जिनदत्तसूरि जी ने ईस्वीसन् १०७५ से ११५४ (विक्रम संवत् ११३२ से १२११) तक के मध्यभाग को आलोकित किया था। पश्चिम भारत में शक्तिशाली राजपूत शासकों के राज्यकाल में जैन धर्म की अप्रत्याशित प्रगति हुई। ये शासक शैव या शाक्त धर्म के अनुयायी थे। परन्तु सहिष्णुता एवं जैन धर्म के प्रति उदार दृष्टिकोण के कारण राजपूत शासकों ने जैन धर्म की उन्नति में भी सक्रिय योगदान दिया। गुजरात के सोलंकी वंशज, मालवा के परमार राजा और चौहानवंशी राजा आदि विशेष उल्लेखनीय है । ५ भारत के मध्यकालीन इतिहास में चालुक्य वंश का अधिक महत्त्व है, गुजरात के अणहिल पट्टन (पाटन)राज्य की स्थापना मूलराज ने की थी। मूलराज का राज्याभिषेक ई. सन् ९४२ (वि.सं.९९८) में हुआ था। दसवीं सदी में जिस समय चन्देल, कलचूरी आदि राजवंश अपने स्वतंत्र राज्य स्थापित करने में प्रयत्नशील थे, तभी मूलराज ने अपने राज्य की स्थापना की। यह जैन धर्म का संरक्षक एवं प्रेमी था, उसने ५५ वर्ष तक निष्कंटक राज्य किया। फिर चामुण्डराजने १३ वर्ष तक राज्य किया। वल्लभराज चामुण्ड का पुत्र था। उसने केवल छ: मास तक राज्य किया। फिर उसका छोटाभाई दुलर्भराज ई. सन. १०१० में राजगद्दी पर आया । दुर्लभराजने १२ वर्ष तक राज्य किया।'' * युगप्रधानजिनदत्तसूरि-अगरचंदजी नाहटा, विशेष जानकारी के लिये दृष्टव्यम् । वल्लभ भारती-महोपाध्याय विनयसागरजी, पृ... गुजरात नो प्राचीन इतिहास-पृ.१७१. वही, पृ.१७३ भारत का प्राचीन इतिहास-सत्यकेतु विद्यालंकार, पृ.६३८ गुजरात नो प्राचीन इतिहास, पृ.१७७-१७८. गुजरातनो प्राचीन इतिहास. पृ.१७९-१८० * Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002768
Book TitleJinduttasuri ka Jain Dharma evam Sahitya me Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSmitpragnashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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