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हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन
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चंदना वह चेटक राजा की बहन थी । १ कौशाम्बी के राजा शतानीक ने एक बार जल मार्ग से सेना लेकर बिना सूचित किये एक ही रात में चम्पा को घेर लिया । पूर्व सज्जा के अभाव में दघिवाहन की हार हुई। शतानीक के सैनिकों ने निर्भय होकर दो प्रहर तक चम्पा के नागरिकों को यथेच्छ लूटा । एक रथिक राजमहलों में पहुँचा । वह रानी धारिणी और राजकुमारी चन्दबाला को अपने रथ में बैठाकर भाग निकला।
शतानीक विजयी होकर कौशाम्बी लौट आया। रथिक धारिणी और चंदनबाला को लेकर निर्जन अरण्य में पहुँच गया । वहाँ उसने रानी के साथ बलात्कार का प्रयत्न किया रानी ने उसे बहुत समजाया, किन्तु उसकी सविकार मनोभावना का परिष्कार न हो सका। जब वह मर्यादा का अतिक्रमण कर रानी की ओर बढ आया तो उसने अपनी सतीत्व की रक्षा के निमित्त जीभ खींचकर प्राणों की आहुति दे दी और रथिक की दुचेष्टा को विफल कर दिया ।
रथिक कौशाम्बी लौट आया चंदनबाला को उसने एक दासी की भाँती बाजार में बेच दिया। पहले उसे एक वेश्याने खरीदा और वेश्या से धनवाह सेठने । चंदनबाला सेठके घर एक दासी की भाँती रहने लगी। उसका व्यवहार सबके साथ चंदन की तरह अतिशय शीतल था; अतः तब से उसका चंदना नाम अति विख्यात हुआ ।
चंदनबाला प्रत्येक कार्य को अपनी चातुरी से विशेष आकर्षण बना देती । वह अतिशय श्रमशीला थी, अतः सब को ही भा गई । उसकी लोकप्रियता पर दास-दासी भी मुग्ध थे। पर सेठानी मूला को उसके लावण्य से डाह होने लगी। वह चंदना के प्रत्येक कार्य को घूर घूर कर देखती रहती थी, चंदनबाला ने उस और कभी ध्यान नहीं दिया । वह सेठ-सेठानी को माता-पिता ही मानती और उनके साथ एक दासी की भाँती रहती । चंदना के व्यवहार से पत्नी मूला को सेठजी के अनिष्ट संबंध की आशंका हुई । उस नारी का मन विकल हुआ सौतिया - डाह जागी मनमें।
चंदनबाला का रूप देख
थी जलन, प्रबल जागी मन में ॥ २
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१.
२.
दिगंबर मतानुसार वह चेटक राजा की लड़की थी ।
'श्रमण भगवान महावीर” : कवि योधेयजी, सोपान - ७, पृ. २६८
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