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हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन निर्वाणतप- भगवान का निर्वाण तप वही सभी में दो उपवास लिखा है। निर्वाण नक्षत्र- सभी में स्वाति वही निर्वाण स्थली-सभी ग्रंथों में पावापुरी दी है।
(२) प्रमुख चरित्रों का चरित्र चित्रण पुरुष पात्र (अ) सिद्धार्थ :
भगवान महावीर संबंधी प्रबंधो में यद्यपि मुख्य पुरुष पात्र के रुप में महावीर ही प्रमुख हैं। तथापि उनके पिता व भाई का कथानक में उल्लेख मिलता है, अतः उनका संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया है। महावीर का जीवन यथार्थ रुपसे कुछ विस्तार से प्रस्तुत किया है। गुणज्ञ राजा:
विदेह देश के मध्य में कुण्डलपुर नाम का अत्यन्त रममीय नगर है। उस नगरी के राजा सिद्धार्थ थे जो साक्षात् सूर्य से प्रतापी थे। अपने राज्य को सर्वभाँति समृद्ध बनाने में वे दत्तचित्त और निपुण थे। उनके राज्य में प्रजा सुखी थी। वे नीतिवान, प्रजाप्रेमी, सरल स्वभावी आदि गुणों से युक्त थे। प्रबंधों में कवियों ने राजा सिद्धार्थ के गुणों का सुंदर चित्रण किया है
महाराजा श्री सिद्धारथजी थे काश्यगोत्रनाथ वंशी, अति नीतिवान व धर्म वान क्षत्रिय कुल के थे अवतंशी
*** यही यशस्वी हरि-वंश व्योम के दिनेस सिद्धार्थ प्रदीप्तमान थे, प्रसिद्ध वे भूपति सार्वभोम थे, सतोगुणी थे, जिन-धर्म दूत थे।
“त्रिशलानन्दन महावीर' : कवि हजारीलाल, पृ.२९ “वर्धमान' : कवि अनूपशर्मा, प्रथम सर्ग, पद-२८, पृ.४२
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