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हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन हरि. पु., तिलो., उत्त पु. भगवान आव. नि. सत्त. द्वार. आदि में वही है । की कोमार्यावस्था ३० वर्ष की थी। राज्यकाल हरि. पु., तिलो. उत्त.पु.
आव.नि., सत्त. द्वा आदि में वही है। आदि में राज्यकाल का अभाव बताया है। दीक्षातिथि: हरि. पु., तिलो., उत्त. पु. आदि सत्त. आदि ग्रन्थों में भी वही है। में मार्गशीर्ष कृष्ण १० की है। तीर्थंकरों के चैत्य वृक्ष सभी ग्रंथों में वही सालवृक्ष और उस धनुष्य की उंचाई। भगवान का चैत्य वृक्ष साल था, उसकी उंचाई ३२ धनुष्य की है। सभी ग्रंथों में प्रथम शिष्य इन्द्रभूति था। गणधर समुदाय - सभी ग्रंथो में ग्यारह संख्या है। प्रथम शिष्याचंदनबाला साधु संख्या-१४००० साध्वी संख्या-सभी में ३६००० केवलज्ञानी सभी ग्रंथों में केवलज्ञान की संख्या वही ७०० थी मनः पर्यवज्ञानी सभी में ५०० अवधिज्ञानी-१३०० पूर्वधारीभगवान के ३०० पूर्वधारी थे। वादी-सभी में ४०० साधक जीवन-७२ वर्ष
ग्यारह
वही
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