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हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन वर्धमान की भाभी का नाम प्रजावती था। भगवान की २८ वर्ष की उम्र में भगवान ने ३० वर्ष की अवस्था में ही दीक्षा ही माता-पिता का देहान्त हो गया। ली जब कि उनके माता-पिता जीवित थे। फिर उन्होने माता-पिता के देहान्त के पश्चात् दीक्षा ग्रहण की। भगवान दीक्षा के समय सवस्त्रधारी थे और भगवान दीक्षा के समय नग्न दिगम्बर उनके कन्धे पर देव-दुष्य था। भगवान हो गये थे। उन्होंने केवलज्ञान प्राप्त होने से का उपदेश केवलज्ञान प्राप्त होने से पहले उपदेश नहीं दिया था और पहले भी हुआ किन्तु प्रथम समवशरण ६६ दिन बाद प्रथम समवशरण उस में देव ही उपस्थित थे, मनुष्य नहीं.। समय हुआ जब उन्हें इन्द्रभूति
गौतम गणधर के रुप में प्राप्त हुआ। भगवान का रात्रिगमन है। रात्रिगमन नहीं है। भगवान महावीर का अन्तराल काल श्वेताम्बर और दिगम्बर आम्ना के अनुसार दो सो पचास वर्ष बाद महावीर सिद्ध हुए। भगवान महावीर के जीवन सम्बन्धी समानताएँ दिगम्बर और श्वेताम्बर सम्प्रदायों में निम्नानुसार है। दिगम्बर
श्वेताम्बर पिता-सिद्धार्थ
सिद्धार्थ माता-प्रियकारिणी, त्रिशला। त्रिशला च्यवन तिथि आषाढ शुक्ल ६
वही आषाढ शुक्ल ६ जन्मतिथिहरि. पु., उत्त. पु. और तिलो.आदि सत्त. द्वा. आदिग्रंथो में ग्रंथो में चैत्र शुक्ल १३ की दी है। चैत्र शुक्ल १३ की दी हैं। जन्मनक्षत्रउत्तराफाल्गुनी
उत्तराफाल्गुनी शरीरमान हरि. पु.तिलो. और उत्त. पु. आव.नि., सप्ततिशत, आदि में ७ हाथ का में ७ हाथका हैं।
और समवायांग ग्रंथ में ७ हाथ (रत्नी)का है।
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