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हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन
शिष्यों का सम्बल बनी, सहारा बनी, वे इस ज्योतिर्मय संदेश को पाकर धन्य धन्य हो
गए।
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भगवान महावीर के गर्भ से निर्वाण तक दिगम्बर व श्वेताम्बर परम्पराओं में जो मुख्य अन्तर या मतभेद है उसका तुलनात्मक दृष्टिकोण यहाँ ज्ञान हेतु प्रस्तुत कर रही
हूँ ।
महावीर की जीवनी सम्बन्धी ऐतिहासिक मान्यताओं में दिगम्बर और श्वेताम्बर संप्रदायों में जो मूलभूत भेद माने गये हैं वे इस प्रकार हैं -
श्वेताम्बर मान्यता
दिगम्बर मान्यता
जन्मभूमि
सत्तरिसय द्वार में कुण्डपुर,
आवश्यक ग्रन्थ में कुण्डलपुर
च्यवनतिथि
अषाढ शुक्ल ६ दी है ।
च्यवन नक्षत्र
उत्तराफाल्गुनी
च्यवन स्थल
प्राणात स्वर्ग
दीक्षा नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी दीक्षा साथी
प्रवचनसार द्वार, सत्तरिसय, समवायांग समवाय आदि में
भगवान के दीक्षा साथी एकाकी
थे
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प्रथम तप
समवायांग, प्रवचनसार द्वार आवश्यक नियुक्ति, सत्तरिसय द्वार
*में प्रथम तप बेला (दो उपवास)
हरिवंशपुराण, उत्तर पुराण में
कुण्डपुर और तिलोयपण्णति में
कुण्डलपुर हैं ।
वही
उत्तराषाढा
पुष्पोत्तर विमान
उत्तरा
हरिवंश पुराण, तिलोयपण्णति में प्रभु एकाकी थे और उत्तरपुराण में प्रभु के दीक्षा साथी १००० थे स्वयं एकाकी नहीं थे ऐसा लिखा है।
• हरिवंशपुराण में प्रथम तप बेला से
हुआ तथा उत्तर पुराण, तिलोयपण्णत्ति ग्रंथ में तीन उपवास
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