________________
C
हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन रहा था। चारों ओर अंधकार ही अंधकार है । बेचारी मूढ जनता अंधकार में भटक रही हैं, उन्हें कहीं पर प्रकाश नहीं मिल रहा है, ऐसे समय में भारत की पुण्य भूमि पर दिव्य लोकोत्तर महापुरुष का उदय हुआ, जिसका नाम श्रमण भगवान महावीर है।
भगवान महावीर एक प्रभावशाली पुरुष एवं अग्रगण्य श्रमण थे। पालि ग्रन्थों के अनुसार वे बुद्ध के समकालीन थे, पर दोनों की कभी भेंट नहीं हुई। प्रारंभ के प्राकृत ग्रन्थों में बुद्ध का नामोल्लेख नहीं हुआ है। इससे मालूम होता है कि महावीर और उनके अनुयायियों ने बुद्ध के व्यक्तित्व को विशेष महत्व नहीं दिया। लेकिन पालित्रिपिटक में महावीर को बुद्धकालीन छः तीर्थंकरो में से एक माना गया है। जन्म स्थान:
___भगवान महावीर की जन्म स्थली के विषय में इतिहासज्ञ विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ विद्वान आगम साहित्य में उल्लखित “वेसालिय' शब्द को देखकर इन की जन्मस्थली वैशाली मानते है तो कुछ विद्वान “कुंडनपुर' तो क्षत्रियकुंड तो कोई मगध देश तो कोई इसे विदेह मानते है। किन्तु श्वेताम्बरी ग्रंथ सत्तरिसय द्वार में कुण्डपुर
और आवश्यक ग्रंथ में कुण्डलपुर लिखा है। दिगम्बरी ग्रंथ हरिवंश पुराण और उत्तम पुराण में कुण्डपुर का नामोल्लेख है और तिलोयपण्णत्ति ग्रंथ में कुंडलपुर है।।
उपर्युक्त प्रमाणों और ऐतिहासिक आधारों से यह स्पष्ट हो जाता है कि भगवान महावीर का जन्म वैशाली के कुंडपुर (क्षत्रियकुंड)सन्निवेश में हुआ। स्थानांग व समवायांग में भगवान महावीर के सम्बन्धित जो उल्लेख हैं वे बहुत ही महत्व के हैं। इसके बाद भगवती आराधना में तो भगवान महावीर सम्बन्धी बहत अधिक और महत्व की सामग्री हैं। इसमें देवानंदा ब्राह्मणी का महत्वपूर्ण प्रसंग वर्णित हैं। जिसमें यह कहा गया है कि ब्राह्मणकुण्ड ग्राममें ऋषभदत्त ब्राह्मण और उसकी पत्नी देवानंदा श्रमणों के उपासक
थे। एक बार भगवान् महावीर उस ग्राम में आये तो वे बहुत प्रसन्न होकर भगवान के दर्शन करने के लिए आये। ऋषभदत्त भगवान को विधि सहित प्रणाम करके खड़ा रहा, देवानंदा भी तीन बार वंदना करके हाथ जोड़कर अपने परिवार के साथ खड़ी रही। भगवान को देखते देखते देवानंदा के स्तन से दूध की धारा बह निकली । आनन्द से आँखे भीग गई। शरीर हर्ष से प्रफुल्लित होकर रोगटे खड़े हो गए और भगवान महावीर को
१.
सन्दर्भ-जैन-धर्म-दर्शन : डॉ. मोहनलाल महेता, पृ.८
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org