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हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन हर ओर विमान दिख रहे थे विद्युतसा तेज दमकता था, जो भी विमान, सन्मुख आता सूरजसा वही चमकता था।
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कविने चन्दनबाला की माता का करुण चित्रण काव्य में अंकित किया है। नारी की सतीत्व की पराकाष्टा का सजीव चित्रण देखिए
ओ अधम नीच पापी राक्षस मुँह में रख मुँह की वाणी को, क्या अबला समज लिया तूने पति बिना आज क्षत्राणी को। जब तक कटार इन हाथों में कर सकता कोई बात नहीं, सेवक बन दगा दिया तुने, होता है ऐसा घात नहीं॥२
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भगवान के विहार के समय का प्रकृति चित्रणः
श्री वीर प्रभु के आने से छह ऋतुओं के फल फूल हुए, बावड़ी कूप सरिताओं के जल से आच्छादित कूल हुए। प्रभु का आगमन सुना ज्यों ही बनमाली फल लेकर आया, फल भेंट किये महाराज को शुभ समाचार सब बतलाया॥
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निःसंदेह रूप में कवि ने भगवान महावीर की जीवनी को सुंदर ढंग से काव्य में संजोया है। कवि का महावीर काव्य लिखने का मुख्य उद्देश्य यही है कि
उन वीर प्रभु के भव लिखने इस कविने कलम उठाई है, जिनका यश वर्णन करने में ऋषियों ने पार न पाई है। पर कवि का है उद्देश्य यही जह शिव मग पर लग जाता, जग का हर नंदन वीर बनें पढ त्रिशला नंदन की गाथा।'
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"त्रिशलानन्दन महावीर" : कवि हजारीलाल, “बालचरित्र", पृ.४६ वही, पृ.५९ “त्रिशलानन्दन महावीर" : कवि हजारीलाल, पृ.७० वही, पृ.११
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