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हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन कविने हाथी, दाँत, अंग, कान, आँख आदि तद्भव शब्दों द्वारा विविध प्रसंगो के भावों को उजागर किया है। बावला हाथी का वर्णनः
एक बावला हाथी कबसे उधम मचा रहा था ।
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कविने भगवान महावीर के अभिग्रह की कथा मुहावरा के द्वारा सुंदर ढंग से काव्य में अभिव्यक्त की है -
उनके अभिग्रह की कथा सुनो तुम चकित खड़े रह जाओगे। संकल्प जान लो उनका तो, दाँतो में जीभ दबाओगे।
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कविने भगवान की समता की पराकाष्ठा का अद्वितीय चित्रण काव्य में अंकित किया है
कुछ पल पीछे आँखें खोली, चुप चाप बढ़े आगे पथ पर। कानों में कीले धसे रहे, वह दृष्टि जमाए थे पथ पर। ३
*** भगवान का गृहत्याग के समय माँ की ममता का चित्रण देखिए -
हिरनी-सी व्याकुल आँख देख प्रभु को रोई
"श्रमण भगवान महावीर" : कवि योधेयजी, सोपान-२, पृ.८४ वही, सोपान-७, पृ.२६३ वही, पृ.२७५
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