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सुख भोग कर और जिन-दीक्षा ग्रहण करके अट्ठाईसवें भव में वह महाशुक्र स्वर्ग का देव हुआ । वहां से चय कर उनतीसवें भव में घातको खण्डस्थ पूर्व दिशा-सम्बन्धी विदेह क्षेत्र के पूर्व भाग-स्थित पुण्डरीकिणी नगरी में प्रियमित्र नामका चक्रवर्ती हुआ। अन्त में जिन-दीक्षा लेकर वह तीसवें भव में सहस्रार स्वर्ग में देव हुआ । वहां से चयकर इकतीसवें भव में इसी भूमण्डल पर नन्दन नाम का राजा हुआ । इस भव में उसने प्रोष्ठिल मुनिराज के पास धर्म का स्वरूप सुना और जिन-दीक्षा धारण कर ली । तदनन्तर षोडश कारण भावनाओं का चिन्तवन करते हुए उसने तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किया और जीवन के अन्त में समाधि-पूर्वक प्राण छोड़कर बत्तीसवें भव में अच्युत स्वर्ग का वह इन्द्र हुआ। बाईस सागरोपम काल तक दिव्य सुखों का अनुभव कर जीवन के समाप्त होने पर वहां से चयकर वह देव अन्तिम तीर्थङ्कर महावीर के नाम से इस वसुधा पर अवतीर्ण हुआ । यह महावीर का गणनीय तेतीसवां भव है।
इस प्रकार दिगम्बर-परम्परा के अनुसार भ. महावीर के अन्तिम ३३ भवों का वृत्तान्त मिलता है। श्वेताम्बर-परम्परा में भगवान् के २७ ही भवों का वर्णन देखने को मिलता है। उनमें प्रारम्भ के २२ भव कुछ नाम-परिवर्तनादि के साथ वे ही हैं जो कि दि. परम्परा में बतलाये गये हैं । शेष भवों में से कुछ को नहीं माना है। यहां पर स्पष्ट जानकारी के लिए दोनों परम्पराओं के अनुसार भ. महावीर के भव दिये जाते हैं :
दिगम्बर-मान्यतानुसार
श्वेताम्बर-मान्यतानुसार
१. पुरुरवा भील २. सौधर्म देव ३. मरीचि ४. ब्रह्म स्वर्ग का देव ५. जटिल ब्राह्मण ६. सौधर्म स्वर्ग का देव ७. पुष्यमित्र ब्राह्मण ८. सौधर्म स्वर्ग का देव ९. अग्निसह ब्राह्मण १०. सनत्कुमार स्वर्ग का देव ११. अग्निमित्र ब्राह्मण १२. माहेन्द्र स्वर्ग का देव १३. भारद्वाज ब्राह्मण १४. माहेन्द्र स्वर्ग का देव त्रस-स्थावर योनि के असंख्यात भव १५. स्थावर ब्राह्मण १६. माहेन्द्र स्वर्ग का देव १७. विश्वनन्दी (मुनिपद में निदान) १८. महाशुक्र स्वर्ग का देव १९. त्रिपृष्ठ नारायण २०. सातवें नरक का नारकी २१. सिह २२. प्रथम नरक का नारकी २३. सिंह (मृग भक्षण के समय
१. नयसार भिल्लराज २. सौधर्म देव ३. मरीचि ४. ब्रह्म स्वर्ग का देव ५. कौशिक-ब्राह्मण ६. ईशान स्वर्ग का देव ७. पुष्यमित्र ब्राह्मण ८. सौधर्म देव ९. अग्न्युद्योत ब्राह्मण १०. ईशान स्वर्ग का देव . ११. अग्निभूति ब्राह्मण १२. सनत्कुमार स्वर्ग का देव १३. भारद्वाज ब्राह्मण १४. माहेन्द्र स्वर्ग का देव अन्य अनेक भव १५. स्थावर ब्राह्मण १६. ब्रह्म स्वर्ग का देव १७. विश्वभूति (मुनिपद में निदान) १८. महाशुक्र स्वर्ग का देव १९. त्रिपृष्ठ नारायण २०. सातवें नरक का नारकी २१. सिंह २२. प्रथम नरक का नारकी
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