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चम्पा नगरी का प्रतिपालक दधिवाहन नाम का राजा और उसकी पद्मावती नाम की रानी ये दोनों ही दम्पती भगवान् के शिष्य बनकर जैन धर्म पालन करने लगे ॥१८॥
वैशाल्या पूर्वस्मादेव
भूमिपालस्य वीरस्य
चेटकस्य समन्वयः मार्ग माढौकि तोऽभवत
॥१९॥
वैशाली के राजा चेटक का वंश तो पहिले से ही वीर भगवान् के मार्ग का अनुयायी था । (अब के वहां पर विहार होने से वह और भी जैन धर्म में द्दढ़ हो गया ) ||१९||
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भगवान्
काशीनरेश्वरः शंखो हस्तिनागाधिपः शिवः चिलातिः कोटिवर्षेशो दशार्णेशोऽपि
दीक्षितः
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काशी देश के नरेश्वर महाराज शंख, हस्तिनापुर के महाराज शिव, कोटि वर्ष देश के स्वामी चिलाति और दशार्ण देश के नरेश भी भगवान् के धर्म में दीक्षित हुए ||२०||
उद्दायनमहीपतिः
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वीतभयपुराधीश प्रभावती
प्रियाऽमुष्याऽऽपतुर्द्धां
वीरशासनम्
॥२१॥
वीतभयपुर का अधीस उद्दायन राजा और उसकी प्रभावती रानी ये दोनों ही वीर भगवान् के शासन को प्राप्त हुए ॥२१॥
कौशम्ब्या नरनाथोऽपि नाम्ना योऽसौ सतानिक: 1 मृगावती प्रिया चास्य वीरांधी स्म निषेवते ॥२२॥ कौशाम्बी का नरनाथ सतानिक राजा और उसकी पद्मावती राणी ने भी वीर भगवान् के चरणों की सेवा स्वीकार की ||२२||
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जीवको निर्वृतिं
प्रद्योतन
उज्जयिन्या अधिपोऽस्य शिवा प्रिया 1 वीरस्य मतमेतौ द्वौ सेवमानौ स्म राजतः
॥२३॥
उज्जयिनी का राजा प्रद्योत और उसकी रानी शिवादेवी ये दोनों ही वीर भगवान् के मत का सेवन
करते हुए सुशोभित हुए ||२३||
राजपुर्या अधीशानो श्रामण्यमुपयुञ्जानो
महतां महान् 1 गतवानितः
॥२४॥
राजपुरी नगरी का जीवक अर्थात् जीवन्धर स्वामी जो महापुरुषों में भी महान् था, वह भी भगवान् से श्रमणपना अङ्गीकार करके भगवान् के जीवन काल में ही मोक्ष को प्राप्त हुआ ॥२४॥
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