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जिनकी महामञ्जुक्षमा अर्थात् बड़ी सुन्दर क्षमा है, वे ही महादेव कहे जाते हैं ।
भावार्थ -
जिस देव के महावीर्य यानी महान् आत्मबल एवं उत्साह क्षायिक होने के हेतु अनन्त हैं, महाधैर्य-- महान् धैर्यं यानी संतोष स्थिर एवं सर्वोत्कृष्टाशुतोष महाशील - महान् शील - यानी चारित्र असाधारण, अलौकिक एवं सर्वोत्कृष्ट है, महागुण -- महान् गुण सम्यग्दर्शनादि श्रप्रतिपाती एवं अनन्त हैं, तथा जिनकी महामञ्जुक्षमा महान् मञ्जुक्षमा यानी अपराध की सहनशीलता महान् प्रशंसनीय सर्वोत्तम अत एव मञ्जु - मनोहर है, वे जिनेश्वरदेव ही महादेव कहे जाते हैं । अन्य नहीं ॥ १३ ॥
[ १४ ]
अवतरणिका -
महादेवस्यैव स्वयम्भूपदवाच्यतेत्याह
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मूल पद्यम् -
स्वयम्भूतं यतो ज्ञानं, लोकालोकप्रकाशकम् । अनन्तवीर्यचारित्रं, स्वयम्भूः सोऽभिधीयते ॥
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श्रीमहादेवस्तोत्रम् ३६
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