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वीतराग-महादेवस्तोत्र' (गुर्जरभाषान्तर युक्त) की पुस्तिका तथा वि० सं० २०१६ की साल में शा० भाईलाल अम्बालाल पेटलाद वाला की ओर से प्रकाशित 'स्तोत्रत्रयो' जिसमें सकलार्हत्स्तोत्र-वीरजिनस्तोत्र-महादेवस्तोत्र हैं। इन तीनों पर पन्न्यासश्रीकीत्तिचन्द्रविजयगरिण, वर्तमान में शासनसम्राट् समुदाय के विद्वान् पूज्य आचार्य श्रीमद्विजयकीत्तिचन्द्रसूरिजी म० सा० की रची हुई 'कोत्तिकला' नाम की व्याख्या युक्त पुस्तिका भी दृष्टिगोचर हुई। दोनों पुस्तिकाओं को अपनी दृष्टि में रखकर तथा उनका सहारा भी लेकर पूज्यपाद प्राचार्य म० सा० ने इस ग्रंथ पर सरल संस्कृत भाषा में रम्य मनोहरा टीका तथा हिन्दीपद्यानुवाद एवं भाषानुवाद का कार्य विशेष प्रयत्न द्वारा ट्रॅक समय में पूर्ण किया है।
जालौर निवासी पण्डित श्री हीरालालजी शास्त्री ने इस ग्रंथ की मनोहरा टीका आदि का सुसंशोधन कार्य किया है।
परमपूज्य गुरुदेव प्राचार्य म० श्री के विद्वान् शिष्यरत्नप्रवक्ता-कार्यदक्ष-पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. सा० ने इस ग्रंथ का सुसम्पादन कार्य किया है ।
इस ग्रंथ का प्राक्कथन प्रोफेसर श्रीचेतनप्रकाश जी पाटनी जोधपुर वालों ने लिखा है। इस ग्रन्थ का अक्षरसंयोजन व सुन्दर सेटिंग श्रीराधेश्यामजी सोनी और
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