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श्वरजी म. सा. के प्रधान पट्टधर-धर्मप्रभावक-शास्त्रविशारद-कविदिवाकर-व्याकरणरत्न-स्याद्यन्तरत्नाकरादिअनेक ग्रन्थकारक-देशनादक्ष-बालब्रह्मचारी-परमपूज्याचार्यवर्य श्रीमद्विजयदक्षसूरीश्वरजी म. सा. के सुप्रसिद्ध पट्टधरजैनधर्मदिवाकर-शासनरत्न-तीर्थप्रभावक-राजस्थानदीपकमरुधरदेशोद्धारक-शास्त्रविशारद-साहित्यरत्न-कविभूषण-सूरि. मन्त्रसमाराधक-सुशीलनाममालाद्यनेक ग्रन्थसर्जक-बालब्रह्मचारी-पूज्यपादाचार्यदेव श्रीमद्विजयसुशीलसूरीश्वरजी म. सा० हैं।
आपका परम पवित्र संयमी जीवन आदर्श जीवन है । आप संयम की उत्तम आराधना के साथ शासनप्रभावना का सुन्दर कार्य कर रहे हैं। सदा ज्ञान-ध्यानादिक में मग्न रहकर विविध ग्रंथों की रचना कर रहे हैं। परमपूज्य कलिकालसर्वज्ञ भगवन्त श्रीहेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. विरचित इस 'महादेवस्तोत्र' पर संस्कृत में सरल टीका, हिन्दीपद्यानुवाद तथा हिन्दीभाषानुवाद करने के लिये परमपूज्य गरुदेव प्राचार्य म० सा० को राजस्थान-मरुधरस्थ कालन्द्री निवासी प्रोफेसर श्रीजवाहरचन्दजी पटनी फालना वाले ने विज्ञप्ति की। तदनुसार परमपूज्य आचार्य भगवन्त ने इस ग्रन्थ पर टोका आदि कार्य प्रारम्भ किया। पूर्वे वि० सं० १९६१ की साल में गुजरात-सौराष्ट्र के भावनगर से श्री जैन प्रात्मानंद सभा की तरफ से प्रकाशित 'श्री
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