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१८ दिन का श्री शत्रुंजय महातीर्थ का छौरी पालित यात्रा संघ १८ संघवियों के साथ प. पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. की पावन निश्रा में निकाला ।
७. सं. २०३६, फाल्गुण कृष्णा ६ को तखतगढ़ मंगल भवन के नूतन मन्दिर की प्रतिष्ठा पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. की निश्रा में भव्य महोत्सव पूर्वक सम्पन्न हुई - उस प्रतिष्ठा में शिखर पर कलश चढ़ाकर आपने महापुण्यार्जन किया ।
८.
सं. २०३६, माघ मास में श्री दयालशाह किले में मुनिराज श्री जितेन्द्र विजयजी गरिणवर्य की निश्रा में उपधान तप की आराधना करवायी तथा माला प्रसंग पर अट्ठाई महोत्सव एवं श्री भक्तामर महापूजन करवाया ।
६. सं. २०४०, महासुद६ को तखतगढ़ में अंजनशलाका एवं प्रतिष्ठा पूज्यपाद प्राचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. की निश्रा में अत्यन्त समारोहपूर्ण सम्पन्न हुई । उस महोत्सव में आपकी ओर से नवकारशी तथा श्री भक्तामर महापूजन हुए एवं महासुद६ के दिन श्री सीमंधर स्वामी मूलनायक भगवान को सुन्दर बोली बोलकर विराजमान किये ।
१०. बम्बई की बाणगंगा विमल सोसायटी में साधु-साध्वीजी की पाठशाला का उद्घाटन आपके कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ । उस अवसर पर आपने अच्छी रकम अर्पित की।
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११. तखतगढ़ मंगल भवन पालीताणा में साधु-साध्वीजी के लिए एक कमरा लिखवाकर लाभ लिया ।
१२. पादरली भवन - पालीताणा में एक कमरा साधु-साध्वीजी के लिए लिखवाकर लाभ लिया ।
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-पन्द्रह --
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