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चालू है । इसके लिए इन्होंने पुष्कल धनराशि अर्पित की है - और उस रकम के ब्याज से ये मांगलिक कार्य सम्पन्न होते हैं ।
मांगलिक कार्य -- संघवीजी ने निम्नलिखित मांगलिक कार्य उल्लासपूर्वक सम्पन्न किये हैं :
१. सं. १६६७ में कोल्हापुर में श्री सम्भवनाथ भगवान की प्रतिमाजी भरा कर अंजनशलाका एवं प्रतिष्ठा करवाई । यह प्रतिमाजी श्री बीजापुर मन्दिर में विराजमान है ।
२. सं. २०१६ में पादरली में श्री वीस स्थानक तप, श्री नवपदजी प्रोली, ज्ञानपंचमी तथा पौषदशमी की पूर्णाहुति निमित्त श्री पांच छोड़ का उद्यापन, अट्ठाई महोत्सव, शान्तिस्नात्र वैशाख सुद ३ को आयोजित किया ।
३. सं. २०२३ में पादरली में अपने आवासीय गृह को सुन्दर उपाश्रय रूप में बनवाकर श्री पादरली संघ को अर्पित किया ।
४. आपने वि. सं. २०३२ ता. ८-३-७६ से २५-३-७६ तक १८ दिवसीय छरी पालित पैदल यात्रा संघ तखतगढ़ से श्री आबू अचलगढ़ तीर्थ का प. पू. तपस्वी मुनिराज श्री जितेन्द्र विजयजी म. सा. की निश्रा में निकाला ।
५. छरी पालित संघ दूसरा - सं. २०३८ ता. ८-३-८१ से २६-३-८१ तक १९ दिवस का श्री दयालशाह के किले से घाणेरावमुछाला महावीरजी, राणकपुरजी, राता महावीरजी, नारणा, बामणवाड़जी, नांदिया, लोटारणा का पूज्य तपस्वी मुनिराज श्री जितेन्द्र विजयजी गरिणवर्य की निश्रा में निकाला । तीर्थमाला श्री दीयारणा तीर्थ में पहनी ।
६. संवत् २०३६, ता. १५-१-८२ से ३ -३-८२ एक महीना
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-चौदह
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