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इन चार युगों में पहले कृत (सत्य) युग में ब्रह्माजी उत्पन्न हुए हैं, दूसरे त्रेता युग में महेश्वर (महेशशंकर) उत्पन्न हुए हैं, तीसरे द्वापर युग में विष्ण, (कृष्ण) उत्पन्न हए हैं। अब ऐसी परिस्थिति में ये तीनों देव की एक मत्ति कैसे हो सकते हैं ? जन्मकाल भेद से इन तीनों का एकत्ति होना कैसे सम्भव है ? एकत्ति मानने से एक देव का अवतार (जन्म) दूसरे देव का अवतार (जन्म) भी माना जायगा। किन्तु ऐसा व्यवहार नहीं होता है । एक देव का अवतार (जन्म) दूसरे देव का कभी भी नहीं कहा जाता है । इसलिये इन तीनों देवों की एकत्ति नहीं हो सकती है ।। ३२ ।।
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अवतरणिका -
तदेवमन्येष्टदेवस्य एकमूर्त्तस्त्रिविभागत्वमसमञ्जसमित्युपपाद्य, यद् प्रोक्तम् 'सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्राणि मोक्षमार्गः' इति तद्विशदं विवृण्वन्नाह--
मूलपद्यम् - ज्ञानं विष्णुः सदा प्रोक्तं, ब्रह्मा चारित्रमुच्यते। सम्यक्त्वंतु शिवःप्रोक्त-महन्मूर्तिस्त्रयात्मिका॥
श्रीमहादेवस्तोत्रम् - ६३
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