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पद्यानुवाद
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विश्व में श्राद्य कृतयुग में उत्पन्न ब्रह्मा हुए हैं द्वितीय त्र ेता युगमहीं महेश उत्पन्न हुए हैं । तृतीय द्वापर युगमहीं उत्पन्न विष्ण ु हुए हैं इन तीनों की ही एकमूत्ति कैसे हो सकती है ॥ ३२ ॥
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शब्दार्थ
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ब्रह्मा = ब्रह्मानाम के देव । कृते = कृतयुग में ।
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- उत्पन्न । भवेत् = हुए हैं । च = तथा । महेश्वर नाम के देव । त्र ेतायां = त्रेतायुग में हैं । च = और। विष्ण ु: विष्णुनाम के देव द्वापरयुग में । जातः = उत्पन्न हुए हैं। तो, एकमूत्तिः = एकमूर्ति । कथं कैसे भवेत् ? = हो सकते हैं ?
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श्लोकार्थ
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ब्रह्मा नाम के देव कृतयुग में उत्पन्न हुए हैं, महेश्वर नाम के देव त्र ेतायुग में उत्पन्न हुए हैं तथा विष्णु नाम के देव द्वापरयुग में उत्पन्न हुए हैं। तो, इन तीनों की एक मूर्ति कैसे हो सकती है ?
जातः
महेश्वरः =
उत्पन्न हुए
द्वापरे =
भावार्थ -
पुराणों में चार युग कहे गये हैं । [१] कृत ( सत्य )
युग, [२] त्रेतायुग,
[३] द्वापरयुग,
तथा कलियुग ।
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श्री महादेवस्तोत्रम् - ६२
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