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शब्दार्थ
ब्रह्मा = ब्रह्मा नाम के देव । हंसयानः = हंस वाहन
वाले । भवेत् = हैं । महेश्वरः = महेश्वर नाम के
यानः = बैल के वाहन वाले हैं । के देव । तार्क्ष्ययानः गरुड़ के
तो एकमूत्तिः = एकमूर्ति ।
सकते हैं ?
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=
तथा, विष्णुः
वाहन वाले |
कथं – कैसे |
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श्लोकार्थ -
ब्रह्मा हंस वाहन वाले हैं, महेश्वर वृषभ वाहन वाले हैं तथा विष्णु गरुड़ वाहन वाले हैं । ऐसी स्थिति में इन तीनों की एक मूर्ति कैसे हो सकती है ?
देव । वृष
विष्णु नाम
भवेत् = हैं |
भवेत् = हो
भावार्थ -
पुराणों में ब्रह्मा का वाहन हंस पक्षी, महेश्वर का वाहन बैल पशु तथा विष्णु का वाहन गरुड़ पक्षी कहा है । ऐसी स्थिति में एक मूर्ति के तीन विभाग कैसे हो सकते हैं ? अर्थात् न हो सके । कारण कि प्रत्येक देव के पृथक्-पृथक् वर्णन ही असंगत होगा । इसलिये इन तीनों की मूर्ति पृथक्-पृथक् ही हैं; एक नहीं हैं ।। ३० ॥
श्रीमहादेवस्तोत्रम् —८७
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