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सत्यकी है, तथा उनका जन्मनक्षत्र मूल है । ऐसी स्थिति में... उनकी एक मूत्ति किस तरह सम्भवती है ? भावार्थ -
जिनको पुराणों में महेश्वर-महादेव के अवतार कहे हैं . वे पेढाल द्विज के पुत्र हैं, उनकी माता का नाम सत्यकी है, तथा उनका जन्मनक्षत्र मूल है। ऐसी स्थिति में एक मूत्ति कैसे हो सकती है ? यह जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि जब माता-पिता भिन्न-भिन्न हैं, जन्मनक्षत्र भी भिन्न हैं वहीं तीनों की [ब्रह्मा-विष्णु-महेश्वर की] एक मूत्ति कैसे सम्भवती है ? अर्थात् एक मत्ति के माता-पिता तथा जन्मनक्षत्र एक ही होते हैं । इसलिये ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर एक मूत्ति के तीन भाग नहीं हो सकते हैं ।। २५ ।।
[२६ ] अवतरणिका -
एकस्यैव जीवस्याऽनन्तभवभ्रमणवत् एकस्यापि जन्मभेदाद् मात्रादिभेदो नामभेदोऽपि च सम्भवत्येव । तस्माद् न मात्रादिभेदाद् एकत्तित्वहानिरेकात्माऽपेक्षया तादृशोक्त - रिति पुनर्वर्णभेदादेकमूत्तित्वं विघटयन्नाहमूलपद्यम् - रक्तवर्णो भवेद् ब्रह्मा, श्वेतवर्णो महेश्वरः। कृष्णवर्णो भवेद् विष्णु-रेकमूर्तिः कथ भवेत् ?
श्रीमहादेवस्तोत्रम्-७५..
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