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________________ स्मृता वणिता। च तस्य रुद्रस्य जन्मनक्षत्र यन्नक्षत्रयुक्त काले रुद्रस्य जन्म तन्नक्षत्रं भम् । मूलं =मूलाख्यं नक्षत्रम् । तदेवं स्थिते, एकत्तिः = अभिन्नतनुः । कथं भवेत् ? = काक्वा नैव कथमपि भवेदित्यर्थः । विभिन्नमात्रादिभावाद् विभिन्नमूर्तय एव ब्रह्म-विष्ण -महेश्वराः, न त्वेकमूतिरिति ।। २५ ।। पद्यानुवाद - पेढालद्विज के नन्दन रुद्र-महेश्वर माने है , मानी माता उनकी ही जास सत्यकी नामे है। जन्म नक्षत्र उनका भी माना गया ही मूल है , इन तीनों की एक मूत्ति कैसे ही हो सकती है ? ॥२५॥ शब्दार्थ रुद्रः = रुद्र (महेश्वर) । पेढालस्य-पेढाल नामक द्विजः के । सुतः=पुत्र हैं। च=तथा । माता=जनेता रुद्र की माता । सत्यकी=सत्यकी नाम की। स्मृता कही है। च= तथा, जन्मनक्षत्र जन्म का नक्षत्र । मुलं मूल है। ऐसी स्थिति में एकत्तिः = एकमूत्तिः । कथं =कैसे । भवेत् ? = हो सकती है ? श्लोकार्थ - रुद्र (महादेव) पेढाल द्विज के पुत्र हैं, उनकी माता श्रीमहादेवस्तोत्रम्-७४ Jain Education International For Private & Personal Use Only. www.jainelibrary.org
SR No.002760
Book TitleMahadev Stotram
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSushilmuni
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram Sirohi
Publication Year1985
Total Pages182
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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