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________________ १०७२ जयोदय-महाकाव्यम् [५३-५५ सम्भक्तमनुष्यभवे याविह तो सुभटरवे ।। पितरावितरौ तु नवे तीक्ष्यते स्वमानात् ॥५३॥ सम्भुक्तेत्यादि-हे सुभटरवे ! सुभटानां रवे ! मार्गदर्शक ! सम्भुक्ते मनुष्यभके रतिवरभवावपि पूर्वभवे सुकान्तभवे यो तव पितरो तावेह हिरण्यवर्मजन्मनि जातावितरौ तु न वेति स्वमानात् संज्ञानादीक्ष्यते ॥५३॥ दाम्पत्यमुपेत्यतरां विभवाधिगति प्रवराम् । लब्धा गुणततिः परा शान्तिसंविताना ॥५४॥ दाम्पत्यमिति-दाम्पत्यं गृहस्थभावं तथा प्रवरां महती विभवस्याधिगति सम्पदुपलब्धि चोपेत्यतरामतः पुनस्त्वया परा महतो शान्तः संवितानं यत्र सा शान्तिदायिनी गुणततिर्लब्धा वैराग्यपरिणतिरुपलब्धा ॥५४॥ एतावन्तकदेशिताविव गतौ सम्पादितुं सम्बलं जम्बूनामपुरे परेधुरिह तौ व्यापायमानावलम् । प्राग्जन्मप्रतिवैरिणा मृतिमितौ तत्रागतेनौतुना प्रारब्ध ह्य पलभ्यते ननु जनों भो जवेनाधुना ॥५५॥ एतावित्यादि-एतो कपोतजम्पती किलान्तकेन यमेन देशितो संकेतिताविव सम्बलं भोजनं सम्पादितु गतौ परेधुरिह जम्बूनामपुरे तत्रागतेन प्राग्जन्मप्रतिवेरिणौतुना विडालेनालं पर्याप्तं यथा स्यात्तथा व्यापाद्यमानी मृति मरणमिती सम्प्राप्तौ। भो भो प्रभो ! जनरघुना प्रारब्धं स्वोपाजितं हि किलोपलभ्यते जवेनानायासेनेति विचारणीयं मनु ॥५५॥ - ___ अर्थ हे सुभटसूर्य ! सुभटोंके मार्गदर्शक ! अतीत मनुष्यभव अर्थात् रतिवरसे पूर्व सुकान्तके भवमें जो तुम्हारे माता-पिता थे, वे ही हिरण्यवर्माके जन्ममें हुए हैं दूसरे नहीं, ऐसा हम अपने ज्ञानसे जानते हैं ॥५३॥ अर्थ-गृहस्थभाव तथा बहुत भारी सम्पत्तिको अच्छी तरह प्राप्त कर आपने शान्तिके विस्तारसे सहित गुणोंका सन्तति-वैराग्य परिणतिको प्राप्त किया ॥५४ जयं-एक दिन कबूतर और कबतरी भोजन प्राप्त करनेके लिये जम्बूपुर गये। वहाँ उनके पूर्वभवके बैरी विलावने आकर उन्हें अत्यधिक घायल कर दिया जिससे मृत्युको प्राप्त हो गये। ठीक ही है मनुष्योंका जो पूर्वोपार्जित कर्म है वह इस भवमें वेगसे-अनायास ही प्राप्त होता है ॥५५॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002757
Book TitleJayodaya Mahakavya Uttararnsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuramal Shastri
PublisherDigambar Jain Samiti evam Sakal Digambar Jain Samaj
Publication Year1994
Total Pages690
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size15 MB
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