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पञ्चदशः सर्गः स श्रीमान् सुषुवे चतुर्भुजवणिक् शान्तेः कुमाराह्वयं
वाणीभूषणमस्त्रियं घृतवरी देवी च यं धीचयम् । काव्ये कौमुदमेधयत्यपि सुधाबन्धूज्ज्वले तत्कृतेः सर्गः स्वीयकलाभिरेष दशमः पञ्चोत्तरो निर्गतः ॥१५॥
अर्थ-श्रीमान् सेठ चतुर्भुज जी तथा घृतवरी देवीने जिस वाणीभूषण, ब्रह्मचारी तथा बुद्धिमान् 'शान्ति कुमार नामक पुत्रको उत्पन्न किया था, उसके द्वारा निर्मित चन्द्रोत्सवका वर्णन करने वाले चन्द्रमाके उज्ज्वल इस काव्यमें अपनी कलाओंसे सुशोभित यह पञ्चदश सर्ग पूर्ण हुआ ।।१५।।
१. कविका राशि नाम 'शान्ति कुमार' था, 'और चालू नाम 'भूरामल' था।
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