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________________ अथ पञ्चमः सर्गः तत्र प्रभातकालीनो राग : ॥१॥ अहो प्रभातो जातो भ्रातो भवभयहरजिनभास्करतः ॥ स्थायी ॥ पापप्राया निशा पलाया - मास शुभायाद्भूतलतः I नक्षत्रता द्दष्टिमपि नाञ्चति सितद्यु तेर्निगमनमतः ॥ | स्थायी ॥ खंगभावस्य च पुनः प्रचारो भवति दृष्टिपथमेष गतः I क्रियते विप्रवरैरिहादरो जड़जातस्य समुत्सवतः ॥ स्थायी ॥२॥ साऽमेरिकादिकस्य तु मलिना रुचिः सुमनसामस्ति यतः । भूराजी शान्तये वन्दितुं पादौ लगतु विरागभृतः ॥ स्थायी ॥३॥ अहो भाई, देखो प्रभात काल हो गया है, जन्म मरण रुप भव भय के दूर करने वाले श्री जिनवरभास्कर के उदय से पाप - बहुल रात्रि इस शुभ चेष्टावाले भारत-भूतल से न जाने किधर को भाग गई है । इस समय जैसे सित द्युति (श्वेत कान्तिवाले) चन्द्र के चले जाने से नक्षत्र गण भी दृष्टि गोचर नहीं हो रहे हैं, वैसे ही श्वेत वर्ण वाले अंग्रेजों के चले जाने से इस समय भारतवासियों में अक्षत्रियपना (कायरपना) भी दिखाई नहीं दे रहा है, किन्तु सभी लोग अब साहसी बनकर क्षत्रियपना दिखला रहे हैं इस प्रभात-वेला में खगगण (पक्षियों का समूह ) जैसे आकाश में इधर-उधर संचार करता हुआ दिखाई दे रहा है, वैसे ही नभोयान (हवाई जहाज) भी नभस्तल पर विहार करते हुए दिखाई दे रहे हैं । तथा ब्राह्मण लोग स्नानादि से निवृत होकर देव पूजन के लिए जैसे जलजों (कमलों) को तोड़ रहे हैं, वैसे ही वे लोग अब हीन जाति के लोगों का आदर सत्कार भी उल्लास के साथ कर रहे हैं। और जैसे इस प्रभात - बेला में गुलाब आदि सुन्दर पुष्पों के ऊपर भौंरे आदि की मलिन कान्ति द्दष्टिगोचर हो रही है, वैसे ही अमेरिका आदि अनेक देशवासियों के हृदयों में अब भी भारत के प्रति मलिन भावना दिखाई दे रही है । अतएव भूराजी (ग्रन्थकार) कहते हैं कि भूमण्डलकी सारी प्रजा की शान्ति के लिए वीतराग श्रीजिन भगवान् के चरणों की इस समय वन्दना करनी चाहिए ॥१-३ ॥ आगच्छताऽऽगच्छत जिनमूर्तिमात्मस्फूर्त्तिं स्वद्दसा भो जिनार्चनार्थं स्वद्दसा निभालयाम Jain Education International For Private & Personal Use Only याम ॥स्थायी I 118 11 www.jainelibrary.org
SR No.002749
Book TitleSudarshanodaya Mahakavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuramal Shastri, Hiralal Shastri
PublisherDigambar Jain Samiti evam Sakal Digambar Jain Samaj
Publication Year1994
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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