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_____ - 106 1 - - -- - - - --- - -- - श्रीमान् श्रेष्ठिचतुर्भुजः स सुषुवे भूरामले त्याह्वयं वाणीभूषणवर्णिनं घृतवरी देवी च यं धीचयम् ॥ प्रोक्ते तेनसुदर्शनस्य चरिते व्यत्येत्सौ सत्तमः राज्ञः श्रेष्ठि वराय कोपविधिवाक् सर्गः स्वयं सप्तमः ॥
इस प्रकार श्रीमान् सेठ चतुर्भुजजी और घृतवरी देवी से उत्पन्न हुए वाणीभूषण, बालब्रह्मचारी पं. भूरामल वर्तमान मुनि ज्ञानसागर-विरचित इस सुदर्शनोदय काव्य में राजा द्वारा सुदर्शन सेठ को मारने की आज्ञा दी जाने का वर्णन करने वाला सातवां सर्ग समाप्त हुआ ।
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