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15.17 नवम्बर 2006 जिनवाणी, _ 97
प्रतिक्रमण : एक विहंगम दृष्टि
डॉ. बिमला भण्डारी
प्रतिक्रमण का साधक संवर एवं निर्जरापूर्वक आत्मशोधन करता है। यदि जम्बूद्वीप के समस्त पर्वत सोने के बन जायें और बालू रेत स्वर्ण बन जाये और कोई इन्हें सात क्षेत्रों में दान दे तो भी उसकी उतनी आत्मशुद्धि नहीं होती जितनी प्रतिक्रमण से होती है। यही संदेश डॉ. भण्डारी के प्रस्तुत लेख से प्राप्त होता है। -सम्पादक
भारतीय दार्शनिक परम्परा में जैन दर्शन अपने व्यावहारिक पक्ष के लिए आज सम्पूर्ण विश्व में एक अनूठा गौरवपूर्ण स्थान बनाए हुए है। भगवान् महावीर ने पहले अपने जीवन में केवलज्ञान या सम्यक् सम्बोधि जैसे दुर्लभ लक्ष्य को प्राप्त किया, स्वयं दुःखमुक्त बने तथा जन-जन में दुःखमुक्ति हेतु उपदेश किया। उन्होंने साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविकारूप चतुर्विध संघ की स्थापना की। उनके द्वारा निरूपित अर्थरूप वाणी के आधार पर गणधरों एवं आचार्यों ने आगमों की रचना की।
__ जैनागमों में आवश्यकसूत्र का महत्त्वपूर्ण स्थान है। आवश्यक सूत्र जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है हमारे आवश्यक कार्यों से संबंधित है। जीवन में कुछ कृत्य ऐसे होते हैं जो हमारे आत्म-विकास, आत्म-स्वातन्त्र्य और आत्म-समृद्धि के आधार-स्तंभ होते हैं। भगवान् ने ऐसे कृत्यों को आवश्यक कृत्यों की संज्ञा दी है। अनुयोगद्वार चूर्णि में आवश्यक को परिभाषित करते हुए लिखा है- जो गुणशून्य आत्मा को प्रशस्त भावों में आवासित करता है, वह आवासक या आवश्यक है। अनुयोगद्वारसूत्र की मल्लधारीकृत टीका में लिखा है कि जो समस्त गुणों का निवास स्थान है वह आवासक या आवश्यक है। आवश्यक जैन साधना का प्राण है। यदि व्यक्ति दृढ़ मनोयोग के साथ आवश्यक कृत्यों को सम्पादित करता है तो वह अनिवार्यतः आत्मश्रेय को उपलब्ध होता है।
मानवीय पुरुषार्थ की जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। हम जैसे भी हैं, उसका कारण हम स्वयं ही हैं। प्रत्येक व्यक्ति कर्म से आबद्ध है। कर्मो के वशीभूत जीवात्मा की अनंत काल तक यात्रा चलती रहती है। इसी क्रम में मनुष्य अनेक भूलें कर बैठता है, अंग्रेजी लोकोक्ति है- "Man is a bundle of mistakes" आदमी गलतियों का पुलिंदा है। हर व्यक्ति अपराध करता है। हर व्यक्ति भूल करता है। एक अंग्रेजी विद्वान् ने कहा है- "To forget is humane but to forgive is divine" भूलना या अपराध करना मानव की आदत है, परन्तु अपराधी को क्षमा कर देना ईश्वरीय गुण है। इस ईश्वरीय गुण को प्रकट करने के लिए ही
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