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________________ ६२/साध्वी प्रीतिदर्शनाश्री प्रीति, भक्ति आदि अनुष्ठान, पंचाचार का पालन-इन सभी अलग-अलग अवस्थाओं में अध्यात्म को स्वीकार करने वाला नैगमनय है।" योगबिंदु ग्रंथ में बताया है- १. औचित्यपूर्ण व्यवहार २. अनुष्ठानस्वरूप धर्म में प्रवृत्ति ३. और सम्यक प्रकार से आत्मनिरीक्षण करना-इन तीनों को शास्त्रकार अध्यात्म कहते हैं। इष्टदेवादि को नमस्कार, प्रतिक्रमण, प्रायश्चित, जप, जीवादि के प्रति मैन्यादि भावना का चिंतन आदि अध्यात्म है। इस प्रकार स्थूलता को देखने में निपुण ऐसे नैगमनय द्वारा मार्गानुसारी आदि का आश्रय लेकर स्वयं के सिद्धांत में विरोध न आए, ऐसे अनेक प्रकार के अध्यात्म स्वीकार कर सकते हैं। संग्रहनय की दृष्टि में अध्यात्म : सभी विशेष अंशो को सामान्य रूप से एकत्र करने का दृष्टिकोण होने से संग्रहनय अध्यात्म, भावना, ध्यान, समता, वृत्तिसंक्षय आदि को अलग-अलग स्वीकार करने के स्थान पर सभी में व्याप्त व्यापक तत्त्व को अध्यात्म के रूप में स्वीकार करता है। ध्यान, समता आदि को अध्यात्म के रूप में संग्रह करने के लिए, संग्रहनय अध्यात्म की व्याख्या इस प्रकार करता है कि क्लिष्ट चित्तवृत्तियों के निरोधपूर्वक एकाग्रचित्त के व्यापार से समता का आलंबन लेकर जो सम्यक् पंचाचार का पालन है, वही अध्यात्म है।' यहाँ एक बात यह ध्यान में रखने योग्य है कि संग्रहनय के मत से सभी सत् है, किंतु भूतल पर रहे हुए घड़े की ओर इशारा करके पूछे कि यह क्या है, तो संग्रहनयवादी कहेगा यह सत् है, क्योंकि घड़े में भी उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य गुण रहा है, जो सत् का वाचक हैं, ठीक इसी तरह केवलभावना आदि भी अध्यात्मस्वरूप बन सकती है। __ "अपुनर्बंधक अवस्था से लेकर अयोगी गुणस्थानक तक की उस-उस ' अवस्था की अपेक्षा से की गई क्रिया अध्यात्म है।"३३ अध्यात्मवैशारदी -(अध्यात्मोपनिषद-टीका) मुनि यशोविजयजी -१५ पृष्ठ अध्यात्मवैशारदी - मुनियशोविजयजी पृष्ठ-१६ अपुनर्बन्धकाद्यावद् गुणस्थानं चतुर्दशम् क्रमशुद्धिभती तावत् क्रियाऽध्यात्ममयी मता ।।४।। -अध्यात्मसार -उ. यशोविजयजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002747
Book TitleYashovijayji ka Adhyatmavada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPreetidarshanashreeji
PublisherRajendrasuri Jain Granthmala
Publication Year2009
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size19 MB
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