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६० / साध्वी प्रीतिदर्शनाश्री
घी के घड़े में लड्डू रखे हैं।
उदाहरण के लिए यहाँ घी के घड़े का अर्थ ठीक वैसा नहीं है, जैसा कि मिट्टी के घड़े का अर्थ है। यहाँ घी के घड़े का तात्पर्य वह घड़ा है, जिसमें पहले 'घी' रखा जाता था ।
ऋजुसूत्रनय
भेद या पर्याय की विवक्षा से जो कथन किया जाता है, वह ऋजुसूत्रनय का कथन होता है। इसे बौद्धदर्शन का समर्थक बताया जाता है। यह नय भूत और भविष्य की उपेक्षा करके केवल वर्तमान स्थितियों को दृष्टि में रखकर कोई कथन करता है। उदाहरण के लिए 'भारतीय व्यापारी प्रामाणिक नहीं है'- यह कथन केवल वर्तमान सन्दर्भ में ही सत्य हो सकता है। इस कथन के आधार पर हम भूतकालीन और भविष्यकालीन भारतीय व्यापारियों के चरित्र का निर्धारण नहीं कर सकते है । ऋजुसूत्रनय हमें यह बताता है कि उसके आधार पर कथित कोई भी वाक्य अपने तात्कालिक सन्दर्भ में सत्य होता है, अन्यकालिक संदर्भों में नहीं ।
शब्दनय
शब्दनय हमें यह बताता है कि शब्द का वाच्यार्थ कारक, लिंग, उपसर्ग, विभक्ति, क्रियापद आदि के आधार पर बदल जाता है। जैसे तटः तटी तटम् - इन तीनों शब्दों के अर्थ समान होने पर भी तीनों पदों से वाच्य नदी तट अलग-अलग है; क्योंकि समानार्थक होने पर भी तीनों शब्दों में लिंग भेद है। दूसरा उदाहरण जैसे 'कश्मीर भारत का हिस्सा था' और 'कश्मीर भारत का हिस्सा है', इन वाक्यों में एक भूतकालीन कश्मीर की बात कहता है, तो दूसरा वर्तमानकालीन कश्मीर की ।
करता है।
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समभिरूढ़नय
यह नय पयार्यवाची शब्दों में भी व्युत्पत्ति भेद से अर्थभेद को स्वीकार इस नय का अभिप्राय यह है कि जीव, आत्मा, प्राणी- ये शब्द अलग
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१. पर्यायशब्देषु निरुक्तिभेदेन भिन्नमर्थं समभिरोहन् समभिरूढ़ः २. शब्दानां स्वप्रवृत्तिनिमित्तभूतक्रियाविष्टमर्थ वाच्यत्वेनाभ्युपगच्छन्ने वम्भुतःः जैनतर्कभाषा - नयपरिच्छेद
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