SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३. प्रमेयमाला यह ग्रंथ विविध वादों का संग्रह है। मार्गपरिशुद्धि - इस ग्रंथ में हरिभद्रीय पंचवस्तु शास्त्र के साररूप मोक्षमार्ग की विशुद्धता का सुन्दर प्रतिपादन है। २५. यतिदिनचर्या इस ग्रंथ में जैनसाधुओं के दैनिक आचार का वर्णन है । विजयप्रभसूरिस्वाध्याय - इसमें गच्छनायक श्री विजयप्रभसूरिजी की तर्कगर्भित स्तुति की गई है। विषयतावाद २४. २६. २७. २८. २६. - स्याद्वादरहस्य पत्र इसमें खंभात नगर के पण्डित गोपाल सरस्वती आदि पण्डित वर्ग पर प्रेषित पत्र का संग्रह है, जिसमें संक्षेप में स्याद्वाद की समर्थक युक्तियों का प्रतिपादन है। ३०. १. इसमें विषयता, उद्देश्यता, अपाद्यता आदि का निरूपण है। सिद्धसहस्त्रनामकोश इसमें भगवान् के १००८ नाम का संग्रह है। उपाध्याय यशोविजयजी का अध्यात्मवाद / ४१ पूर्वाचार्यों की कृतियों पर टीकाएँ षोडशकवृत्ति – योगदीपिका स्तोत्रावली इसमें ऋषभदेव पार्श्वनाथ एवं महावीर स्वामी के आठ स्तोत्र संग्रहित हैं। Jain Education International. - षोडशक प्रकरण में धर्म की शुरुआत से लेकर मोक्षप्राप्ति तक का मार्ग बताया गया है। हरिभद्रसूरि द्वारा विरचित इस ग्रंथ पर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002747
Book TitleYashovijayji ka Adhyatmavada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPreetidarshanashreeji
PublisherRajendrasuri Jain Granthmala
Publication Year2009
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy