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उपाध्याय यशोविजयजी का अध्यात्मवाद/ २१ अब इस चित्रपट के अनुसार विचार करें, तो १६६३ में यशोविजयजी गणि थे। सामान्यतया दीक्षा के कम से कम दस वर्ष बाद ही गणि पद देने में आता है। (अपवादरूप प्रसंग में इससे कम वर्ष में भी गणिपद देते हैं।) उसके अनुसार सं. १६६३ में यशोविजयजी को गणिपद से सुशोभित किया हो, तो सं. १६५३ के आसपास उनकी दीक्षा हुई होगी, यह मान सकते हैं। अगर यह बाल दीक्षित हो और दीक्षा के समय इनकी उम्र आठ वर्ष के लगभग की हो तो संवत् १६४५ के आसपास इनका जन्म हुआ होगा, इस प्रकार मान सकते हैं।
इनका स्वर्गवास सं. १७४३-४४ में हुआ था। अतः संवत् १६४५ से संवत् १७४४ तक का लगभग सौ वर्ष का आयुष्य इनका होगा ऐसा पट के आधार पर मान सकते हैं।
सुजसवेलीभास' के अनुसार सं. १६८८ में नयविजयजी कनोडु पधारे थे और इसी वर्ष यशोविजयजी की बड़ी दीक्षा पाटण में हुई।
संवत् सोल अठ्यासियेंजी रही कुणगिरि चौमासी श्री नयविजय पंडितवरुजी आव्या कन्होड़े उल्लासि "विजयदेव गुरु हाथनीजी बड़ी दीक्षा हुई खास संवत् सोल अठ्यासियेजी करता योग अभ्यास"
दीक्षा और बड़ी दीक्षा एक ही वर्ष में संवत् १६८८ में दी गई और दीक्षा के समय इनकी उम्र कम थी, यह सुजसवेलीभास के आधार पर पता चलता है। उसमें कहा गया है - ... 'लघुता पण बुद्धि आगलोजी नामे कुंवर जसवंत'
इस पंक्ति से मालूम होता है, कि दीक्षा के समयं इनकी उम्र ५-६ वर्ष की होना चाहिए तो इस आधार. पर इनका जन्म १६७६-८० में होना चाहिए। इनका स्वर्गवास डभोई में सं. १७४३-४४ में हुआ था। इस तरह इनका आयुष्य ६४-६५ वर्ष का होगा, यह मानना पड़ेगा।
चित्रपट के आधार पर १६४५-४६ के आसपास इनका जन्म होना चाहिए और सुजसवेलीभास के आधार पर इनका जन्म १६७६-८० में होना
चाहिए।
१. 'सुजसवेलीभास'- यशोविजयजी के समकालीन मुनि कांतिविजयजी कृत
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