________________
उपाध्याय यशोविजयजी का अध्यात्मवाद/ २२१ होकर नहीं चलेगा। सब उसके साथ जुड़े रहते हैं और वह सबको अपने साथ जोड़े रखता हैं। २८ अतः अनेकान्त वादी सबके विचारों को समझकर समय-समय पर उनका भी सम्मान करता है। अनेकान्तवाद में वह ताकत है कि वह दुश्मन को भी दोस्त बना लेता है। राज्य व्यवस्था का मूल लक्ष्य जन कल्याण है अतः अनेकांतवाद का आश्रय लेकर विभिन्न राजनैतिक विचारधाराओं के मध्य एक संतुलन स्थापित करके आपस के विवादों को समाप्त किया जा सकता है।
पारिवारिक संघर्षों से मुक्ति अनेकान्तदृष्टि के द्वारा
प्रायः परिवार में संघर्ष भी एक-दूसरे के विचारों को नहीं समझने के कारण तथा अपने विचार को पकड़कर रखने के कारण होते हैं। घर को फर्नीचर की सजावट से भव्य बनाने का काम तो पैसे कर देते हैं, परन्तु घर को प्रसन्नता से हरा-भरा बनाने का काम प्रेम के बिना सम्भव नहीं है और प्रेम बिना अनेकान्तदृष्टि के टिक नहीं सकता है। बैलगाड़ी के युग और कम्प्यूटर के युग में विरोध तो है ही। पिता बैलगाड़ी के युग का और पुत्र कम्प्यूटर के युग का सांस प्राचीन विचारों की, बहू नवीन आधुनिक विचारों की, अतः प्रायः पिता-पुत्र और सास-बहू में संघर्ष होते रहते हैं। "पिता जिस परिवेश में बड़ा हुआ, उन्हीं संस्कारों के आधार पर पुत्र का जीवन ढालना चाहता है। पिता की दृष्टि अनुभवप्रधान होती है, जबकि पुत्र की दृष्टि तर्कप्रधान। यही स्थिति सास-बहू में होती है। सास यह अपेक्षा करती है कि बहू ऐसा जीवन जिए जैसा मैंने जिया। वह उसे नियंत्रण में रखना चाहती है, जबकि बहू चाहती है कि वह अपने माता-पिता के यहाँ जैसा स्वतंत्र जीवन बिताती थी, वैसा ही बिताए। यही विवाद के कारण बनते हैं। इसमें जब तक सहिष्णुदृष्टि और दूसरे की स्थिति को समझने का प्रयास नहीं किया जाता है, तब तक संघर्ष समाप्त नहीं हो सकता।" २६५ अनेकान्तवाद समस्याओं का महान समाधान है। अनेकान्तवाद हर परिस्थिति हर विचार के प्रत्येक पहलू पर विचार करने की उदार भावना को जन्म देता है। अनेकान्तवाद अन्य के विचारों को समझने का अवसर प्रदान करता है। अधिकार और कर्तव्य दोनों में भी सन्तुलन होना आवश्यक है। यदि व्यक्ति केवल अपने
३८४. २५.
अनेकान्त है तीसरा नेत्र -पृ. ४६ -आचार्य महाप्रज्ञ डॉ. सागरमल जैन - ग्न ग्रंथ - स्याद्वाद और सप्तभंगी एक चिन्तन
Jain Education Internatiorial
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org