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उपाध्याय यशोविजयजी का अध्यात्मवाद/ १५
तृतीय अध्याय :
अध्यात्म का तात्त्विक आधार-आत्मा १. आत्मा की अवधारणा और उनका स्वरूप २. आत्मा (जीवों) के प्रकार
आत्मा के कर्तत्त्व एवं भोक्तृत्त्व स्वभाव एवं विभाव दशा अनन्त चतुष्टय
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चतुर्थ अध्याय :
अध्यात्मवाद में साधक, साध्य और साथन मार्ग का परस्पर सम्बन्ध १. साधक जीवात्मा का स्वरूप २. साध्य परमात्मा का स्वरूप
साधनों का आत्मा से एकत्व ४. साधना-मार्ग का वैविध्य एवं उनके एकत्व का प्रश्न ५. यशोविजयजी की दृष्टि में योगचतुष्टय
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पंचम अध्याय :
ज्ञानयोग की साधना १. ज्ञान के विभिन्न स्तर एवं प्रकार २. शास्त्रज्ञान और आत्मानुभूति में अन्तर ३. ध्यान और ज्ञान योग में अन्तर
पदार्थज्ञान और आत्मज्ञान आत्मज्ञान की श्रेष्ठता का प्रश्न ज्ञाता ज्ञेय और ज्ञान का भेदाभेद अध्यात्म के क्षेत्र में अनेकान्तदृष्टि का स्थान
एकान्तवाद की समीक्षा और अनेकान्त की व्यापकता .६. आग्रहमुक्ति के लिए अनेकान्तदृष्टि की अपरिहार्यता
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