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________________ १३८/साध्वी प्रीतिदर्शनाश्री रहित, परमानंद सुख से युक्त असंग, सभी कलाओं से रहित, सदाशिव आद्य आदि शब्दों से अभिधेय है।"२०१ न्यायविजयजी ने अध्यात्म तत्त्वालोक में कहा है ईश्वर सभी कर्मों से मुक्त, महेश्वर, स्वयंभू, पुरुषोत्तम, पितामह, परमेष्ठी, तथागत (यथार्थ ज्ञानवान्), सुगत (उत्कृष्ट ज्ञानवान्), शिव, अर्थात् कल्याणकारी है।"२०२ तत्त्वज्ञानतरंगिणी ग्रंथ में ज्ञानभूषण ने बताया है कि -स्पर्श, रस, गंधरूप और शब्द से मुक्त ऐसा स्वात्मा ही परमात्मा है, निरंजन है, इस कारण से परमात्मा को इन्द्रियों द्वारा अनुभव नहीं हो सकता है।२०३ हेमचन्द्रसूरि ने योगशास्त्र में कहा है- “ चिप आनंदमय, सर्वउपाधिरहित, शुद्ध अतीन्द्रिय, अनंतगुणसम्पन्न, ऐसे परमात्मा हैं।"२०४। स्याद्वाददृष्टि से ईश्वर साकार है और निराकार भी है, रूपी है, अरूपी भी, सगुण है, निर्गुण भी, विभु है, अविभु भी है, भिन्न है, अभिन्न भी है, मनरहित है मनस्वी भी है पुराना है और नवीन भी। "परब्रह्माकारं सकलजगदाकाररहितं सरूपं नीरूपं सगुणमगुणं निर्विभु-विभुम् विभिन्न सम्मिन्नं विगतमनसं साधुमनसं पुराणं नव्यं चाधिहृदयमधीशं प्रणिदथे"। तनुकरणादिविरहितं तत्त्वाऽचिन्त्यगुणसमुदयं सूक्ष्मम् त्रैलोक्यमस्तकस्यं निवृत्तजन्मादि सड्क्लेशम्- १५/१३ ज्योतिः परं परस्तात्तमसो यद्गीयते महामुनिभिः आदित्यवर्णममलं ब्रह्माद्यैरक्षरं ब्रह्म १५/१४ नित्यं प्रकृतिविमुक्तं लोकालोकावलोकानाभागम् रितिमिततरग्ड़ोदधिसममवर्णमस्पर्शमगुरुलघु १५/१५ सर्वऽऽबाधारहितं परमानन्दसुखसंगतमसंगम् निःशेषकलातीतं सदाशिवाऽऽद्यादिपदवाच्यम् १५/१६ -पंचदशं ध्येयस्वरूपषोडशकम् -हरिभद्रसूरि महेश्वरास्ते परमेश्वरास्ते स्वयम्भुवस्ते पुरुषोत्तमास्ते पितामहास्ते परमेष्ठिनस्ते तथागतास्ते सुगताः शिवास्ते" -अध्यात्मतत्त्वालोक-न्यायविजयजी स्पर्श-रस-गन्ध-वर्णैः शब्दैर्मुक्तो निरंजनः ।।१/४।। -तत्त्वज्ञानतरंगिणी-ज्ञानभूषण चिद्रुपानन्दमयो निःशेषोपाधि वर्जितः शुद्धः। अत्यक्षोऽनन्तगुणः परमात्मा कीर्तितस्तज्ज्ञैः।।२१/८ ।। -योगशास्त्र -हेमचन्द्रसूरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002747
Book TitleYashovijayji ka Adhyatmavada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPreetidarshanashreeji
PublisherRajendrasuri Jain Granthmala
Publication Year2009
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size19 MB
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