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उपाध्याय यशोविजयजी का अध्यात्मवाद/ १२६ - इस सम्बन्ध में वेदान्त का दृष्टिकोण जैनदर्शन के समीप है। उसमें ब्रह्म को सत् और चित् के साथ-साथ आनंदमय भी माना गया है।
उपाध्याय यशोविजयजी ज्ञान और सुख का आत्मा से अभेद बताते हुए कहते हैं- "आत्मा का जो पक्ष वस्तु-स्वरूप के प्रकाशन सामर्थ्य की अपेक्षा से ज्ञान कहलाता है, वही, खेद आदि दोषों के परिहारपूर्वक शुद्ध आत्मस्वभाव में रमणता करने की सामर्थ्य से सुख कहलाता है।"८२ यह ज्ञान और सुख का अभेद केवलज्ञान और आतीन्द्रिय सुख की अपेक्षा से है। हर्षवर्धन उपाध्याय ने अध्यात्मबिन्दु ग्रंथ में कहा गया है- “जैसे पीलापन, स्निग्धता, गुरुत्व सुवर्ण से भिन्न नहीं है, उसी प्रकार दर्शन, ज्ञान, सुख और वीर्य निश्चयनय की अपेक्षा से आत्मा से भिन्न नहीं है।"१८४ आत्मा का स्वरूप ही ज्ञान कहलाता है और आत्मा सुखमय है, अतः जहाँ अनंतज्ञान तथा अनंतदर्शन है, वहाँ अनंतसुख तथा अनूतवीर्य भी रहेगा, क्योंकि ये आत्मा के स्वलक्षण हैं।
जीव के आत्मसामर्थ्य, आत्मशक्ति या आत्मबल को वीर्य कहते हैं। विशेषावश्यकभाष्य में कहा गया है कि 'वीरियं ति बलं जीवस्स लक्खणं'; वीर्य यह बल है, जीव का लक्षण है। यह दो प्रकार का होता है- सकर्म और अकर्म। कर्म के उदय से औदायिकभावरूप जो सामर्थ्य उत्पन्न होती है, वह सकर्मवीर्य कहलाता है और अन्तरायकर्म के क्षय से क्षायिकभावरूप जीव का जो साहजिक सामर्थ्य प्रकट होता है, वह अकर्म वीर्य कहलाता है। जब सम्पूर्ण रूप से अन्तराय कर्म का आवरण आत्मा से हट जाता है, तब अनन्तवीर्य प्रकट होता है। मनोवैज्ञानिक चेतना का एक पक्ष संकल्पनात्मक शक्ति मानते हैं। इसे आत्मनिर्णय की शक्ति भी कह सकते हैं। इस संकल्पशक्ति को ही जैनदर्शन में वीर्य कहा गया है। 'वीर्य जीवोत्साह:'- आत्मा का उत्साह या मनोबल, यानी शारीरिक और मानसिक बल का सदाचार में उपयोग करने वाला अनिग्रहित बलवीर्य कहलाता है। उत्तराध्ययनसूत्र'६५ में जीव के छः लक्षणों में वीर्य का भी उल्लेख होता है। इसकी टीकाओं में वीर्य का अर्थ सामर्थ्य किया गया है। उत्तराध्ययन सूत्र तथा नवतत्त्व
१५३. प्रकाशशक्त्या यद्रुपमात्मनो ज्ञानमुच्यते।
सुखं स्वरूपविश्रान्तिशक्त्या वाच्यं तदेव तु।। -अध्यात्मोपनिषद -उ. यशोविजयजी १५४. पीत-स्निग्ध-गुरुत्वानां यथा स्वर्णान्न भिन्नता।
तथा दृगज्ञानवृत्तानां निश्चयान्मात्मनो भिदा ।।३/१०।। -अध्यात्मबिन्दु - उ. हर्षवर्धन १५५. उत्तराध्ययनसूत्र -१८/११
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