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________________ १०२/साध्वी प्रीतिदर्शनाश्री हम व्यवहार में स्पष्ट देखते हैं कि जीव स्वयं ही कर्ता और भोक्ता है, यानी कृति और चैतन्य का अधिकारण स्थान एक ही है, यह व्यक्त है। __ उत्तराध्ययन सूत्र में कहा गया है- “आत्मा ही सुखों और दुःखों का कर्ता और भोक्ता है।"११७ यह भी कहा गया है- "सिर काटने वाला शत्रु भी उतना अपकार नहीं करता, जितना दुराचरण में प्रवृत्त अपनी आत्मा करती है।"१८ उपाध्याय यशोविजयजी कहते हैं- "बुद्धि जो कर्ता, भोक्ता और नित्य हो, तो मोक्ष नहीं हो सकता है और जो बुद्धि अनित्य हो, तो पूर्वधर्म के अयोग से संसार ही नहीं रहेगा।"१६ इस प्रकार बुद्धि को नित्य मानें या अनित्य- दोनों प्रकार से संसार और उसमें से मुक्ति की बात लागू नहीं होती है। कर्ता, भोक्ता और नित्यता को आत्मा में मानें, तो ही संसार और मोक्ष की व्यवस्था बराबर घट सकती है। समयसार में कहा गया है कि- व्यवहारिक दृष्टि से शरीरयुक्त बद्धात्मा भोक्ता है। अशुद्ध निश्चयनय या पर्यायदृष्टि से आत्मा अपनी मानसिक अनुभूतियों या मनोभावों का वेदक है। परमार्थ दृष्टि से आत्मा भोक्ता और वेदक नहीं मात्र दृष्टा या साक्षी स्वरूप है।"१२० सांख्यवादी प्रकृति को जड़ मानते हैं और प्रकृति का मुख्य परिणमन बुद्धि है। जो वे प्रकृति को नित्य मानें, तो उसमें रहे हुए धर्म-अधर्म आदि को भी नित्यरूप में स्वीकारना पड़ेगा। "जो धर्मादि को स्वीकार करें, तो फिर बुद्धि की आवश्यकता नहीं रहती है। यदि प्रकृति को जड़ मानते हैं और उसमें धर्मादि को ११७. “अप्पा कत्ता विकत्ता य सुहाण य दुहाण य" -उत्तराध्ययन सूत्र २०/३७ ११८. वही २०/४८ ११६. बुद्धिः की च भोक्त्री च नित्या चेन्नास्तिनिर्वृतिः अनित्या चेन्न संसारः प्राग्धदिरयोगतः।।५७ ।। (४४०) -मिथ्यात्वत्यागाधिकार -अध्यात्मसार -उपाध्याय यशोविजयजी १२०. ववहारस्स दु आदा पुग्गलकम्मं करेदि णेयविहं । तं चेव य वेदयदे पुग्गलकम्मं अणेयविहं ।।१०।। कत्ता आदा भणिदो ण य कत्ता केण सो उवाएव धम्मादि परिणामे जो जाणदि सो हवदि जाणी।।८१।। -समयसार -आचार्य कुन्दकुन्द Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002747
Book TitleYashovijayji ka Adhyatmavada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPreetidarshanashreeji
PublisherRajendrasuri Jain Granthmala
Publication Year2009
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size19 MB
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