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रत्नाकरावतारिका में बौद्ध दर्शन के विविधि मंतव्यों की समीक्षा
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4. विशेषण-असिद्ध 5. पक्ष-एकदेश-असिद्ध 6. आश्रय-असिद्ध 7. आश्रय-एकदेश-असिद्ध 8. संदिग्ध-आश्रय-असिद्ध 9. संदिग्ध-आश्रय-एकदेश-असिद्ध 10. आश्रय-संदिग्ध-वृत्यसिद्ध 11. आश्रय-एकदेश-संदिग्ध-वृत्यसिद्ध 12. व्यर्थ-विशेषण-असिद्ध 13. व्यर्थ-विशेष्य-असिद्ध 14. संदिग्ध-असिद्ध 15. संदिग्ध-विशेष्य-असिद्ध 16. संदिग्ध-विशेषण-असिद्ध 17. एकदेश-असिद्ध 18. विशेषण-एकदेश-असिद्ध 19. विशेष्य-एकदेश-असिद्ध 20. संदिग्ध-एकदेश–असिद्ध 21. संदिग्ध-विशेषण-एकदेश-असिद्ध 22. संदिग्ध-विशेष्य-एकदेश-असिद्ध 23. व्यर्थ-एकदेश-असिद्ध 24. व्यर्थ-विशेषण-एकदेश-असिद्ध 25. व्यर्थ-विशेष्य-एकदेश-असिद्ध
इस प्रकार, बौद्धों ने ऐसे पच्चीस प्रकार के असिद्ध-हेत्वाभास का उल्लेख किया है। रत्नाकरावतारिका में बौद्धों के असिद्ध हेत्वाभासों के पच्चीस भेदों का मात्र सामान्य रूप से विवरण दिया गया है। इनमें से
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